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कुसुमावती 78 साल की है। उत्तरप्रदेश के बनारस जिले की रहने वाली है। लगभग 63 सालों से रेत को एक डोज़ की तरह खाती है। इस औरत ने यह साबित कर दिया कि इंडिया में कुछ भी संभव है। और चौंकाने वाली बात तो ये है कि रेत खाकर ये औरत इसे पचा भी लेती है। चलिए कारण जानते हैं आखिर ऐसा क्यों...
वह रोज करीबन 1 किलो रेत खाती है। कुसुमावती बताती है कि जब वह 15 साल की उम्र की थी तब वह बीमार पड़ गई थी। और उसका पेट फूलने लगा था। जिसके इलाज के दौरान डॉक्टर ने उसकी नाड़ी देखकर बताया कि आधा गिलास दूध और दो चम्मच बालू खाओ। उससे तुम्हें आराम मिलेगा। उसके बाद से ही उसे बालू खाने की आदत पड़ गई। कुछ दिनों तक उसने यह प्रक्रिया जारी राखी। लेकिन बीच में खाना छोड़ दिया जिसके बाद उसे यह समस्या दोबारा शुरू हो गई। लोग उसे डॉक्टरों के पास ले गए और कई टेस्ट भी कराये, लेकिन आराम नहीं मिला।
दुबारा से उसने बालू खाना शुरू किया तो वह फिर से ठीक हो गई। उसके परिवार के लोग बताते हैं कि अब उसे बालू खाने की आदत पड़ चुकी है। जिसके कारण वो स्वस्थ भी रहती है और यही कारण है कि घर के लोग उसकी आदत छुड़ाने की कोशिश भी नहीं करते। ये तो गज़ब की आदत है। हर किसी के बस कि बात नहीं कि वो रेत खा कर पचा ले।
अभी कुछ दिनो पहले एक लड़की के बारे में पढ़ा था। वो लड़की बचपन से लेकर 14 साल की उम्र तक सिर्फ़ पारले-जी बिस्कुट खा कर जिंदा है। उसे कभी खाना खाने क ज़रूरत ही नहीं महसूस हुई। ख़ैर पारले-जी तो ठीक है लेकिन ये रेत खा कर जिंदा रहना, थोड़ी हैरान करने वाली बात है। हम रेत खालें तो मर ही जाएं। डॉक्टरों के अनुसार उसे साइकायट्रिस्ट बीमारी है। ज्यादातर लोग इस बीमारी में किसी न किसी आदत का शिकार हो जाते हैं। डॉक्टरों का यह मानना है कि उसकी पाचन क्रिया सामान्य है इसीलिए वह बालू खाने से बीमार नहीं होती। यह बालू मल के द्वारा उनके पेट से निकल जाती है। उसे एक सही मानसिक इलाज की जरूरत है।
हां ये बात एकदम सही है कि उसे कोई मानसिक बीमारी ही हुई है। दिमाग से स्वस्थय इंसान ऐसा अनोखा काम नहीं कर सकता...