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हमेशा सुर्खियों में रहने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के आलराउंडर हार्दिक पांड्या एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन सुर्खियों की वजह इस बार दूसरी हैं। कुछ ऐसी कि उनके लिए मुसीबत भी खड़ी हो सकती है। असल में जोधपुर की एक कोर्ट ने उनके खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
उन पर आरोप है कि उन्होंने संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल किया है, कोर्ट ने यह आदेश एक वकील डीआर मेघवाल की याचिका पर दिया है।
मेघवाल ने आरोप लगाया है कि पांड्या ने ट्वीट कर संविधान निर्माता अंबेडकर के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल कर उनकी भावनाओं को आहत किया है। इससे उनकी और दलित समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है। मामले में मेघवाल ने सीधे कोर्ट से गुहार लगाई थी जिसके बाद कोर्ट ने पांड्या के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया।
ये तो था खबर एक पहलू अब दूसरा पहलू भी जानिए, पांड्या के खिलाफ मुकदमे का आदेश देकर खुद कोर्ट भी अब सवालों के घेरे में आ गया है। उसकी बड़ी वजह ये है कि पांड्या ने ये बयान कहीं मौखिक रूप से नहीं दिया था, बल्कि एक ट्विटर अकाउंट से इस संबंध में ट्वीट किया गया था और उसी के आधार पर कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दे दिया।
मजे की बात ये है कि जिस ट्विटर अकाउंट से ये ट्वीट किए गए थे वो पांड्या के नहीं उनके नाम पर बने फर्जी अकाउंट से हुए थे। @sirhardik3777 नाम के हैंडल से बीते साल दिसंबर में ये ट्वीट किए गए थे, इस ट्विटर अकाउंट पर वैरीफाइड वाला निशान भी नहीं है।
जबकि पांड्या का असली ट्विटर हैंडल @hardikpandya7 नाम से है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि कोर्ट ने बिना पूरी जानकारी किए ही हार्दिक के खिलाफ मुकदमे के आदेश दे दिए।
इस संबंध में हार्दिक पांड्या ने अपने ट्विटर हैंडल से ही अपना स्पष्टीकरण भी जारी किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि सोशल मीडिया पर किसी ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल कर यह ट्वीट किए हैं, इसलिए वह इस संबंध में कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे।
वैसे भी हमने भी इस संबंध में अपने स्तर पर कुछ पड़ताल करने की कोशिश की तो हार्दिक पांड्या के नाम पर ही हमें दर्जनभर से ज्यादा ट्विटर अकाउंट दिखे, जिनमें पांड्या की तस्वीरों का इस्तेमाल बखूबी किया गया था।
ऐसे में यह पहचानना बड़ा मुश्किल है कि कौन सा अकाउंट असली है या कौन सा नकली। हालांकि इसी तरह के फर्जीवाडों को देखते हुए ही ट्विटर और फेसबुक ने अकाउंट वैरीफाइड की व्यवस्था शुरू की थी, जिससे पता लगाया जा सके कि कौन सा अकाउंट असली है।