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जिंदगी की सारी परेशानियां एक तरफ और बच्चों के ऊपर 'पढ़ाई का बोझ' एक तरफ। छोटी सी उम्र से ही 'भारी-भरकम' बैग को ढोना हर बच्चे को नहीं भाता। इस बोझ के तले कई बच्चे मानसिक असंतुलन का भी शिकार हो जाते हैं। वहीं कुछ बच्चों को पढ़ाई से डर लगने लगता है। क्लास में टीचर की मार-डांट और घर आकर मम्मी-पापा का दबाव। शायद यही वजह थी तो हरिद्वार के रहने वाले दो बच्चों ने खुद को 4 सालों से कमरे में बंद कर रखा था।
लाख समझाने बूझाने के बाद भी ये बच्चे कमरे से बाहर नहीं निकल रहे थे। यहां तक कि इन्हें कमरे से बाहर निकालने के लिए पुलिस को भी आना पड़ गया। फिर भी ये बच्चे अपनी जिद पर अड़े रहे।
ये दोनों बच्चे हरिद्वार के रहने वाले एक इंजीनियर के हैं। बच्चों के मां-बाप का कहना है कि ये पढ़ना नहीं चाहते, जोर दिया तो कमरे में खुद को बंद कर लिया। दोनों कमरे में ही भोजन मांगकर खाते हैं। ये रात को जगते हैं और दिन में सोते हैं।
हरिद्वार के पंचवटी कॉलोनी में हरीश शर्मा का परिवार रहता है। हरीश एक कंपनी में इंजीनियर हैं।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ष 2013 में उनकी बेटी शहर के एक स्कूल में क्लास 10th की पढ़ाई कर रही थी। पेपर के दौरान उसकी कंपाटरमेंट आ गई।
घरवालों ने पढ़ाई के लिए दबाव बनाया तो वह गुस्सा हो गई और 2013 में अदिति ने अपने आप को घर के ही ऊपरी कमरे में बंद कर लिया। जबकि उसके भाई ने क्लास 8th की पढ़ाई बीच में ही छोड़ खुद को कमरे में बंद कर रखा है।
जब छानबीन करते पुलिस टीम वहां पहुंची तो मां-बाप ने बताया कि दोनों पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं। जिसके चलते दोनों खुद को कमरे में बंद कर लिया। उन्होंने बताया कि 2013 के दिसंबर से ही भाई-बहन कमरे में अकेले रहते हैं। भूख लगने पर मां को आवाज देकर खाना मांग लेते हैं। कमरे में टॉयलेट और बाथरूम अटैच है।
पुलिस टीम ने दोनों भाई-बहन से दरवाजा खोलने को कहा, लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। पुलिस टीम के दरवाजा तोड़ने की चेतावनी दी तो उन्होंने दरवाजा खोल दिया। दोनों को देखकर पुलिस टीम दंग रह गई। टीम ने पाया कि भाई-बहन के नाखून और बाल बढ़े हुए हैं। बाल व नाखून बेहद गंदे हैं। दोनों लंबे समय से नहाए नहीं थे।
इस हैरान कर देने वाले किस्से देखकर उन भाई-बहन को मां-बाप के साथ रहने की हिदायत दी गई है।
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