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कामकाजी लोग ध्यान दें, उनसे संबंधित एक नई स्टडी आई है। इसको पढ़ने के बाद पहले तो आपको खुद पर गर्व होगा लेकिन इसके बाद खुद को लेकर चिंता थोड़ी बढ़ जाएगी। असल में बात ये है कि मिन्टेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कामकाजी भारतीय थकान सहने की सीमा को पार कर चुके हैं। हम लोग प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर और उसके असर को लेकर काफ़ी परेशान रहते हैं लेकिन हद से ज़्यादा काम का हम पर क्या असर हो रहा है उससे हमें कोई मतलब नहीं है।
स्टडी के अनुसार 18 से 64 वर्ष के हर 5 भारतीयों में से एक थकान का मरीज़ है। जी हां थकान भी है एक बीमारी ही है। और ये जब किसी को अपने वश में करती है तो अपने साथ और कई तरह की बीमारियों को लेकर आती है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ इसकी पक्की सहेलियां हैं। इसमें भी महिलाओं की हालत ज़्यादा खराब है। शायद इसलिए क्योंकि उन्हें घर और करियर दोनों को साथ में लेकर चलना पड़ता है। जिन औरतों का इंटरव्यू लिया गया उसमें से 25% महिलाएं थकान की समस्या से जूझ रही थीं। मिन्टेल ने ये रिसर्च 3,029 लोगों पर पिछले साल जून में किया था।
भारत के वर्क कल्चर को देखकर इन आकड़ों पर विश्वास और बढ़ जाता है। हम भारतीय जब पैदा होते हैं तभी ये तय हो जाता है कि हमें बड़े होकर क्या बनना है और कितने पैसे कमाने हैं। इसके बाद हम इन्हीं सपनों को पूरा करने में लग जाते हैं। जीने के लिए महंगी गाड़ी, फ़ोन, आलीशान घर होना बहुत ज़रूरी है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि आमतौर पर ऐसा ही माना जाता है।
भारत में 'वर्क-लाइफ बैलेंस' नाम की कोई चीज़ नहीं है। एक कर्मचारी एक साल में करीब 2,195 घंटे काम करता है। दूसरे देशों के मुकाबले ये बहुत ज़्यादा है। हफ़्ते में 52 घंटे काम करके हम यूएस, यूके और यहां तक कि चीन को भी पीछे छोड़ रहे हैं। पिछले साल भारत को 'फ़ोर्थ मोस्ट वेकेशन डिप्राइव्ड नेशन' का तमगा हासिल हुआ था। इसका मतलब ये कि हम भारतीय लीव इन कैश्मेंट लेना ज़्यादा पसंद करते हैं। हम छुट्टी नहीं लेते बल्कि उसे साल के आख़िरी महीने तक के लिए बचा कर रखते हैं। और आख़िरी महीने में उन बची हुई छुट्टियों में से कितनी मिलनी हैं ये तो हम सभी को पता है।
इस थकान पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है क्योंकि इसका असर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर भी पड़ता है। ये थकान एनीमिया, अवसाद और डायबिटीज़ का लक्षण भी हो सकती है। तो इससे पहले कि आपको इनमें से कुछ भी हो, छुट्टी पर जाना शुरू कर दीजिए। काम करिए लेकिन साथ में आराम भी करिए। वरना हालात जापान जैसे भी हो सकते हैं।
सुन रहे हैं न बॉस!