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अपनी सेल्फी लेकर चर्चा में आया बंदर नारूटो कॉपीराइट की कानूनी लड़ाई हार गया है। अमेरिकी जज ने कहा कि बंदर को कॉपीराइट कानून के तहत अधिकार नहीं मिलेंगे। जबकि बंदर की ओर से याचिका दायर करने वाले समूह पेटा ने कहा कि जानवर को भी फायदा होना चाहिए। यह मामला लंबे समय से कोर्ट में चल रहा था। आखिरकार फोटोग्राफर ने इस पशु अधिकार समूह से यह केस जीत लिया।
कोर्ट ने बंदर की ओर से दायर याचिका को रद्द कर दिया। हालांकि न्यू साउथ वेल्स के मोनमाउथशर के रहने वाले फोटोग्राफर डेविड स्लेटर विवादित फोटो से होने वाली कमाई का 25 फीसदी हिस्सा दान करने के लिए तैयार हो गए। यह रकम नारूटो और उसके रहने की जगह की रक्षा करने वाले चैरिटी संस्थानों को दान दी जाएगी। यह जानकारी स्लेटर और पेटा ने साझा बयान जारी करके दी।
पेटा के वकील जेफ कर्र ने कहा कि पेटा के इस मुकदमे के बाद दुनियाभर में पशुओं के अधिकार पर चर्चा हुई।
इस मामले को नारूटो बनाम डेविड स्लेटर नाम दिया गया था। सुनवाई के दौरान बंदर की पहचान पर भी प्रश्न उठा। पेटा का तर्क था कि तस्वीर में दिख रहा बंदर मादा है। स्लेटर की दलील थी कि यह मैकॉक प्रजाति का नर बंदर है।
काफी मेहनत की थी: स्लेटर
फोटोग्राफर स्लेटर ने कहा था कि इस फोटो के पीछे उन्होंने काफी परिश्रम किया था। वह कहते हैं, ‘मैं खुद संरक्षणवादी हूं। तस्वीर में रुचि बढ़ने की वजह से इंडोनेशियाई जानवरों को फायदा हुआ है। नारूटो ने कैमरे में दांत दिखाते और आंख चमकाते हुए सेल्फी 2011 में इंडोनेशिया के जंगल में ली थी।