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यहां वैसे तो आए दिन कई अंतरंगी बातें सामने आती रहती हैं। इन्हीं बातों में जो एक खास बोले तो अज़ीब बात, जिसे समझ पाना थोड़ा मुश्किल है ..ख़ैर छोड़िए, ज्ञानचू वाली बातें नहीं करते मुद्दे की बात पर आते हैं। कह सकते हैं कि ये हमारे देश का शायद पहला रास्ता होगा जहां पर पैदल चलने पर आपको पुलिस धर लेती है। जी हां धर लेगी और लपेटेगी सो अलग, अब आगे सुनो आखिर क्यों।
दरअसल ये एक ऐसा रास्ता है जिस पर पुलिस पैदल चलने वालों को पकड़ लेती है और अगर कोई इस रास्ते पर चलने की ज़िद्द करता है तो पुलिसवाले उसे किसी वाहन से पुल पार करवाते हैं.. भले ही उन्हें पुलिस वैन का उपयोग करना पड़े।
अब आप भी सोच रहे होंगे कि ये क्या स्यापा है, आखिर ऐसा क्या है जो इस रास्ते में पैदल नहीं चल सकते जबकि वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। इसके पीछे एक बड़ी वजह है, जानकर आप चौंक जाएंगे ...शायद। दरअसल ये राजस्थान के धौलपुर की चंबल नदी के ऊपर बना हुआ पुल है और इस नदी में मोटे-मोटे खतरनाक मगरमच्छ रहते हैं ..अब आप सोच रहे होंगे कि रास्ते का मगरमच्छ से क्या लेना-देना, लेना-देना है, बताते हैं।
कुछ यूं है कि यहां की पुलिस का कहना है कि लोग इस पुल पर अपना प्राण त्यागने आते हैं मने कि सुसाइड करने आते हैं। इस पुल से कूदकर कई लोगों ने आत्महत्या की है और तो और पुलिस चौकी इस पुल के पास ही बनी हुई है फिर भी लोग सुसाइड कर लेते हैं। ऐसे में ये पुल पुलिस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।
बताते चलें कि जिन लोगों ने इस पुल से सुसाइड किया है उन लोगों को पुलिस आज तक ढूंढ नहीं पाई। यहां तक कि पुलिस ने शवों को ढूंढने के लिए पूरी नदी में जाल भी बिछा लिए लेकिन फिर भी एक शव तो दूर की बात हड्डियां तक नहीं ढूंढ पाई है ..अब पुलिस का सिर चकराया कि आख़िर ये माज़रा क्या है, तो सुनो। होता क्या है कि इस पुल से जैसे ही कोई शख्स कूदता है वैसे ही वहां पर मौजूद घात लगाए खतरनाक मगमच्छ उस पर टूट पड़ते हैं और पल भर में ही उसे चट कर जाते हैं, यहां तक कि हड्डियां भी नहीं छोड़ते ..अब आप सोच सकते हैं कि ये कितने भूखे होंगे बेचारे।
तो हमारी समझदार पुलिस ने इस परेशानी का हल कुछ इस तरह निकाला है कि अगर कोई शख्स पुल पर पैदल चलता है तो वो उसे जाने ही नहीं देती है.. पकड़ लेती है कि रूक भाई कहां जा रहा है। अगर कोई ज़रूरतमंद जाता भी है तो पुलिस उसे दूसरे वाहनों में बैठाकर पुल पार कराती है... मने कि अब पुलिस का यही काम रह गया है, लोगों को पुल पार करवाना ...ख़ैर खाली बैठे ये काम भी अच्छा ही है।
नोट: इन तस्वीरों का उस पुल से कोई लेना-देना नहीं है