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आपने ये तो सुना ही होगा या जानते होंगे कि जानवरों में सबसे ज्यादा वफ़ादार अगर कोई होता है तो वो है कुत्ता। कुत्ते बहुत ही वफ़ादार होते हैं और इतिहास में अनेक ऐसी घटनाएं हुई हैं, जो ये सिद्ध भी करती हैं। ऐसी ही एक घटना 1670 में भारत में घटी थी, जब एक कुत्ते ने रणभूमि में अपने मालिक के साथ लड़ते हुए 28 मुगल सैनिकों को मार डाला था।
दरअसल यह बात है लोहारू रियासत की जब सन् 1671 में लोहारू रियासत पर 'ठाकुर मदन सिंह' का राज था। उनके दो बेटे 'महासिंह' व 'नौराबाजी' थे। महाराज का एक वफादार गुलाम था जिसका नाम 'बख्तावर सिंह' था। बख्तावर सिंह के पास एक कुत्ता था जिसे वो अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था।
सन् 1671 में ठाकुर मदन सिंह ने बादशाह औरंगजेब को राजस्व देने से इनकार कर दिया। जिससे नाराज होकर बादशाह औरंगजेब ने हिसार गवर्नर अलफू खान को लोहारू पर हमला करने के आदेश दिए। फिर शुरू हुआ एक भीषण युद्ध। इस जंग में दोनों ही तरफ से बहुत जन हानि हुई। ठाकुर मदन सिंह के दोनों पुत्र इस जंग में शहीद हो गए। पर गुलाम बख्तावर पूरी बहादुरी से मैदान में डटे रहे।
उनके साथ उनका वफादार कुत्ता भी युद्धभूमि में ही था। जैसे ही कोई मुगल सैनिक बख्तावर कि तलवार से जख्मी होकर निचे गिरता, कुत्ता उसकी गर्दन दबोचकर मार देता। इस तरह उसने 28 मुगल सैनिकों के प्राण लिए। कुत्ते को ऐसा करता देखकर एक साथ कई मुगल सैनिकों ने कुत्ते पर हमला किया।
अंततः कई वार सहने के बाद वह वफादार कुत्ता वीरगति को प्राप्त हुआ। उसके कुछ देर बाद बख्तावर भी रणभूमि में बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ। हालांकि तब तक मुगल सैनिकों की पराजय तय हो चुकी थी और अंततः ठाकुर मदन सिंह के सामने अलफू खान को मैदान छोड़कर भागना पड़ा।
युद्ध के बाद ठाकुर मदन सिंह ने उस जगह गुम्बद का निर्माण कराया जहां कुत्ते की मौत हुई थी। इसी गुंबद से कुछ दूरी पर बख्तावर सिंह की पत्नी भी उनकी चिता पर सती हो गईं थी। वहां पर उनकी पत्नी की याद में रानी सती मंदिर बनवाया गया जो आज भी मौजूद है।