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आजकल शराब पीना आम हो गया है। पार्टी करनी हो या ट्रिप पर निकलना हो साथ में जरूरी सामान की तरह लोग बोतल भी रखकर ले जाते हैं। हालांकि खुले में शराब पीने और बनाने पर कड़ी से कड़ी सजा दी जाती है और जुर्माना अलग भुगतना पड़ता है। शराब से संबंधित कोई भी जुर्माना अमूमन पैसों के रूप में दिया जाता है, लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां शराब पीने या बनाने का जुर्माना सिर्फ एक नारियल है।
यह गांव छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा में है। जुर्माने में नारियल देने के पीछे एक परंपरा चली आ रही है। हर एक शख्स, जो ये गलती करता है उसे एक नारियल देना ही पड़ता है। इसके लिए बकायदा पंचायत बैठायी जाती है।
इस जुर्माने के बारे में पंचायत का कहना है कि जुर्माने के रूप में नारियल देना भले ही आसान लगता हो लेकिन इसके पीछे सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने का मसला है। एक बार नारियल देने के बाद अगर कोई व्यक्ति दोबारा इस जुर्म को दोहराता है तो उसकी शिकायत पुलिस में की जाएगी।
दरअसल इस मामले पर गांव के सरपंच शनिचरण मिंज का कहना है कि 'गांव में चावल की बनी शराब काफी प्रचलित है। लोग सुबह से ही इसको पीना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं, अब तो गांव के युवक और बच्चे भी शराबी बन गए हैं। जुर्माने के एवज में नारियल देना काफी अटपटा लग सकता है लेकिन इसके पीछे जगहंसाई का भाव छिपा है।'
लोगों में यह आदत इसलिए पनपी क्योंकि उस गांव में मनोरंजन का साधन नहीं है। इसलिए लोग मनोरंजन के नाम पर शराब पीते हैं और बातें करते हैं।
सरपंच का कहना है कि यहां एक समुदाय में महुआ, कच्ची शराब पीना उनकी परंपरा का हिस्सा बन गया है। सरपंच के समझाने पर गांव वालों ने रक्षाबंधन के दिन शपथ ली कि वह शराब को बैन करने का उपहार गांव की महिलाओं को देंगे। इसके बाद नारियल को शुभ मानते हुए शराब के बदले उसी का जुर्माना लगाया गया।
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