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रेडबुल के ऐड बहुत अच्छे होते हैं। एनिमेटेड। देख कर मज़ा आता है, जैसे कोई कार्टून फ़िल्म देख रहे हों। इसके बाद इसे पीने का भी मन करता है। आपने पी है कभी? हमने तो नहीं पी, असल में कभी सोचा ही नहीं। असल में कैन महंगी आती है न। पापा दिलाते नहीं। वैसे भी इसकी पैकेजिंग देख कर लगता है जैसे बियर हो। वैसे है नहीं।
इसके बारे में जो बात पता चली है यकीन मानिए उसके बाद से तो लग रहा है कि यार अच्छा ही हुआ कि नहीं पी। लेकिन इस बात की सच्चाई का कोई आधार नहीं है। ये तो बस उड़ती-उड़ती खबर है। तो लोग ये कह रहे हैं कि रेड बुल में बुल के स्पर्म डाले जाते हैं और इसी वजह से इसे पीने से लोगों को पंख लग जाते हैं।
असल में रेड बुल जैसी एनर्जी ड्रिंक में एक केमिकल मिलाया जाता है जिसे कहते हैं 'टॉरीन'। ग्रीक भाषा में टॉर का मतलब होता है बुल। और ईन का अर्थ होता है कुछ ऐसा जो पहले हिस्से (टॉर/बुल) से लिया गया हो। टॉरीन सल्फ्यूरस एमिनो एसिड का बाईप्रोडक्ट होता है। सालों पहले ये बुल के स्पर्म या ऑक्स बाइल से ही लिया जाता था। ये केमिकल स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है।
जानवरों के अलावा ये इंसानों में भी पाया जाता है। रेड बुल के केस में इस केमिकल को लैब में तैयार किया जाता है। भले ही इस केमिकल का नाम टौरीन हो लेकिन इसमें स्पर्म तो कतई नहीं होते। इसलिए घबराने की बात नहीं है। ये महज़ एक अफ़वाह है जो रायवलरी कंपनीज़ का काम है।
तो अगर उड़ना है तो आपकी मर्ज़ी है पीजिए। 'इट विल गिव यू विंग्स'