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आज कल लोगों की जीवनचर्या कुछ इस तरह बदल गई है कि शहर का लगभग हर व्यक्ति अपने स्वास्थ्य को लेकर परेशान है। लोग वैसे तो अपनी ज़िंदगी में बस दौड़ ही रहे हैं लेकिन उनके पास कसरत करने का समय नहीं है। लोग मोटापे से काफ़ी परेशान हैं। लेकिन समय कम होने की वजह से लोग शॉर्ट कट अपनाना पसंद करते हैं।
फ़िटनेस को लेकर लोगों के बीच बहुत सारी ऐसी बातें चली आ रही हैं जो असल में झूठ हैं। आज हम उन्हीं बातों का पर्दाफ़ाश करने वाले हैं...
ऐसा माना जाता है कि कसरत करने के बाद मांसपेशियों में जितना अधिक दर्द होता है उतना फ़ाएदा शरीर को मिलता है। यानी आपकी कसरत उतनी ही असरदार होती है।
असल में ये बिल्कुल झूठ है। मांसपेशियों में माइक्रो ट्रॉमा की वजह से दर्द होता है। अगर ये बढ़ जाए तो शरीर को नुकसान भी पहुंच सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर कसरत करते समय आपके शरीर में दर्द शुरू हो जाए तो स्ट्रेचिंग कर लेनी चाहिए।
ये भी बिल्कुल झूठ है क्योंकि स्ट्रेचिंग मांसपेशियों को रिलैक्स करने में मदद करती है। इससे दर्द कम नहीं होता।
आप ये भी सुनते होंगे कि आप जितने अधिक समय तक वर्कआउट करेंगे, उसका असर उतनी ज़्यादा देर तक बना रहेगा।
इस बात में कोई सच्चाई नहीं है क्योंकि कसरत में समय का सबसे महत्त्वपूर्ण किरदार होता है।
एक झूठ ये भी चला आ रहा है कि अगर महिलाएं ज़्यादा वज़न उठाती हैं तो इससे उनका शरीर बड़ा दिखने लगता है।
जबकि सच तो ये है कि ज़्यादा वज़न उठाने से महिलाओं का शरीर पतला ही होता है।
अक्सर लोग ये सोचते हैं कि अगर वो जिम जा रहे हैं तो वो कुछ भी खा सकते हैं क्योंकि रोज़ कसरत करने से खाने का शरीर पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ता।
लेकिन सच तो ये है पतले होने के लिए या फ़िट रहने के लिए आपको 75% खाने पर निर्भर होना होता है और केवल 25% असर कसरत का पड़ता है।
कुछ लोग कसरत में अपने दोस्त को कॉपी करने लगते हैं और सोचते हैं कि वही रुटीन उनके लिए भी सही है।
जबकि हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह के वर्क आउट रुटीन की ज़रुरत होती है। दूसरे को कॉपी करने से आपका नुक्सान भी हो सकता है।
कसरत करने से पूरे शरीर का फैट कम हो जाता है।
जबकि सच तो ये हैं कि ऐसा भी हो सकता है कि लगातार कसरत करने के बावजूद आपके शरीर के कई हिस्सों का फैट कम न हो पाए। आपका वज़न तो कम होगा लेकिन फैट बर्न करने में काफ़ी समय लगता है।