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जीएसटी के आने के बाद, सोशल मीडिया पर तो जैसे जोक्स और कार्टून के मेले लगे हुए हैं। ट्विटर पर वेल्ले लोग फनी ट्वीट कर रहे हैं। हर तरफ जीएसटी का शोर गूंज रहा है। कोई बोल रहा मुबारक हो जीएसटी हुई है, तो कोई जीएसटी के फुल फॉर्म पर ही पीएचडी कर रहा है। सबके अपने अलग अलग बोल हैं। इसी शोर शराबे के बीच एक मजेदार खबर सुनने को मिली है। 30 जून की आधी रात जन्मे बच्चे का नाम रखा गया जीसटी।
पैदा होते ही उसकी तस्वीरें ली गई, सोशल मीडिया पर शेयर किया गया, जिसमें हैशटैग दिया गया 'सबका साथ सबका विकास'। बड़े-बड़े लोगों ने उसे शुभकामना भी दी। हर किसी के फोन में उस बच्चे की तस्वीर ने पैदा होते ही एक जगह बना ली सिर्फ 'जीएसटी' नाम होने की वजह से।
लोग बच्चे के पैदा होने से पहले ही नाम सोचकर रखते हैं, लेकिन राजस्थान के एक परिवार ने जीएसटी लॉन्च के मौके पर अचानक बच्चे का नाम जीएसटी रख दिया। वैसे ये अकेला ऐसा मामला नहीं है, एक ऐसा भी गांव है जिसने अजीबोगरीब नाम रखने का रिकॉर्ड कायम किया है।
बिहार के एक गांव में कॉफी से लेकर साइकिल तक लोगों के नाम हैं। ये प्रचलन सदियों से चलता आ रहा है लोग किसी सेलिब्रिटी के नाम पर बच्चे का नाम रख देते हैं या मार्केट में जिसकी पब्लिसिटी ज्यादा है उससे इंस्पायर होकर बच्चे को उसी नाम से बुलाते हैं।
अगर इस बच्चे का नाम जीएसटी नहीं होता तो उसे इतनी पब्लिसिटी नहीं मिल पाती। अखबार में भी उसे जगह दी गई है, इससे बड़ी बात क्या होगी। अगर जीसटी आधी रात में न लागू करके सुबह किया जाता तो भी बच्चे को कोई नहीं जान पाता। लेकिन अब ये सोशल मीडिया का स्टार बन गया है।
राजस्थान के ही बूंदी गांव में लोगों को पदों के नाम, मोबाइल कंपनी के नाम, यहां तक कि अदालतों के नाम पर आपने बच्चों के नाम रखने का शौक है। उच्च पदों, कार्यालयों, मोबाइल ब्रैंड और एसेसरीज पर नाम रखना यहां बहुत ही आम बात है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेमसंग और एंड्रायड के अलावा सिम कार्ड, चिप, जिओनी, मिस कॉल, राज्यपाल और हाई कोर्ट जैसे कई अजीबो गरीब नामों की भरमार है।