Home Omg Oh Teri Ki Saheed Diwas Facts

काला पानी में बदली गई थी शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी की सज़ा

टीम फिरकी/नई दिल्ली Updated Fri, 23 Mar 2018 01:28 PM IST
विज्ञापन
भगत सिंह
भगत सिंह
विज्ञापन

विस्तार

23 मार्च 1931 के दिन शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया गया था, लेकिन अंगेज़ो ने फांसी लगाने की तारीख 23 मार्च नहीं बल्कि एक दिन बाद 24 को तय की थी। ऐसा क्या हुआ जो अंग्रेज़ो ने तय तारीख एक दिन पहले फांसी पर 3 देशभक्तों को लटका दिया?

असेम्बली में बम फेंकने पर मिली थी सज़ा..

भारत की आज़ादी के लिए फांसी पर चढ़ने वाले भगत सिंह ने अंग्रेजो के लिए कहा था, “यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा। जब हमने बम गिराया तो हमारा ध्येय किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चाहिए।”लेकिन केंद्रीय असेम्बली में बम फेंकने के जिस मामले में भगत सिंह को फांसी की सजा हुई थी उसकी तारीख 24 मार्च तय की गई थी।

avenging-the-death-of-lala-lajpat-rai980-1450357241_980x457

भगत सिंह के दोस्त जितेन्द्र नाथ सान्याल ने अपनी किताब 'भगत सिंह' में यह खुलासा किया था कि वायसराय लार्ड इर्विन ने भगत सिंह की फांसी की सजा को काला पानी में बदल दिया था, वायसराय ने इसके आदेश भी जारी कर दिए थे।

क्या साजिश के शिकार हुए देशभक्त?

hanging

ब्रिटिश सरकार के गृह मंत्रालय के अधिकारी ने पोस्ट मास्टर जनरल को वायसराय का आदेश देर से पहुंचाने कहा। फांसी न देने का संदेश तार की जगह डाक से भेजा गया। इधर तत्कालीन पंजाब सरकार को समय से पहले 23 मार्च को, अगले सूर्योदय से पूर्व ही इन क्रांतिकारियों को फांसी पर लटका देने के सूचना दी गई। इसी कारण से इस कारण निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही शाम के करीब सात बजे तीनों को फांसी दे दी गई। इस बात का खुलासा आज तक नहीं किया गया है कि अंग्रेज सरकार के किस अधिकारी ने किसके कहने पर वायसराय का संदेश सही समय पर पंजाब नहीं पहुंचाया और तो और क्यों निर्धारित समय से पहले शाम के समय फांसी दी गई।

‘इनक़लाब ज़िदाबाद’

BjZltP_CEAA9fff

23 मार्च 1931 वहीं दिन है जब भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर चढ़ा दिया गया। इन तीनो शहीदों के देश-भक्ति को अपराध की संज्ञा दे दी गयी थी। भगत सिंह को जब फांसी पर चढ़ाया गया था तब उनकी उम्र सिर्फ 24 वर्ष थी। उन्हें जब फांसी के फंदे के सामने लें जाया गया तब वह हंस रहे थे। तीनो ने मिलकर ‘इनक़लाब ज़िदाबाद’ के नारे लगाते हुए फांसी के फंदे को चूम लिया। भगत सिंह कहा करते थे की “ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती हे … दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।” और देश के लिए हंसते-हसंते फांसी पर चढ़ गए। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत ने पुरे भारत में युवकों के बीच क्रांति की लहर को फैला दिया था।
 

 

 


विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree