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जब कोई खिलाड़ी मेडल जीतता है तो पूरे देश के लिए गर्व की बात होती है। कई दिनों तक उस खिलाड़ी की गूंज सोशल मीडिया, अखबारों और न्यूज चैनल पर दिन रात होती है। ओलंपिक में मेडल ले आना छोटी बात नहीं है, शायद इसलिए ये खिलाड़ी देश के नाम एक मेडल जीत कर सुर्खियों में आ जाते हैं। लेकिन देश के लिए मेडल लाने वाले खिलाड़ी आज भी सड़क पर सामान बेचकर घर चला रहे हैं।
2012 में ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले शूटर विजय कुमार इन दिनों नौकरी की तलाश में हैं। मीडिया से बातचीत में विजय ने कई चीजों का खुलासा किया है। हालांकि ओलंपिक में पदक जीत चुके कई खिलाड़ियों के बारे में ऐसी खबरे आ चुकी हैं जो काफी हैरान वाली हैं। पिछले महीने ही खबर आई थी कि ओलंपिक में पदक जीतने वाला खिलाड़ी राजस्थान में गोल-गप्पे बेचने को मजबूर हैं।
मीडिया से बातचीत में विजय ने कहा कि 'फरवरी में भारतीय सेना के साथ उनका कमीशन खत्म हो गया है। यहां तक कि ट्रेनिंग का खर्चा उन्हें खुद उठाना पड़ रहा है और इसमें काफी पैसा खर्च होता है। उन्होंने कहा, मैं फरीदाबाद शिफ्ट हो गया हूं, ताकि शूटिंग सेंटर के करीब रह सकूं। अगर हरियाणा सरकार मुझे नौकरी दे तो मैं खुशी-खुशी उनका प्रतिनिधित्व भी करूंगा। विजय को आर्मी से बिना किसी सपोर्ट के प्रैक्टिस करने के लिए हर दिन 15 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उन्हें जितनी पेंशन मिलती है, उसमें तो घर चलाना भी मुश्किल होता है।
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