साल 2014। जगह दिल्ली। मौक़ा, लोकसभा चुनाव का। दिल्ली की सल्तनत पूरे एक दशक के बाद बदलने वाली थी। हिंदुस्तान को नया प्रधानमंत्री मिल गया था। जिसे खुद को प्रधान सेवक कहना ज्यादा पसंद है। नरेंद्र मोदी। तीन बार गुज़रात के मुख्यमंत्री और अबकी दिल्ली की गद्दी। कट टू इलेक्शन कैंपेन। चुनाव प्रचार में सबसे बड़ी पहचान, बचपन में एक चाय बेचने वाला। लोगों को नई बात मिल गई थी। चाय बेचने वाला बनेगा देश का प्रधानमंत्री। चुनाव को नई दिशा मिल गई थी। जगह-जगह मंच सजे और उस मंच का नाम होता 'चाय पर चर्चा'।
साल 2016। जगह पाकिस्तान। मौक़ा एक चाय के ठेले पर बैठे कुछ लोग और सामने चाय बनाता एक लड़का। चाय खौल चुकी है। अब उसे बस कप में डालने की तैयारी है। हाथ में चाय का बर्तन पकड़े नीचे छन्नी से चाय छानता है। तभी उसकी एक तस्वीर कैमरे में कैद। बिना उसे भनक तक लगे। तस्वीर इन्स्टाग्राम पर आती है। और चायवाला रातों-रात स्टार। मॉडलिंग से लेकर म्युज़िक वीडियो तक के कॉन्ट्रैक्ट।
साल वही। 2016। महीना दिसंबर। तारीख 6 दिसंबर। चेन्नई को एक बड़ा शॉक। अम्मा नहीं रहीं। यो कहें पूरे तामिलनाडु को एक बड़ा झटका। तामिलनाडु के गांव से लेकर शहर तक हर कोई रो रहा था। चेन्नई स्थिर। लेकिन वहां भी एक चमत्कार हो चुका था। तामिलनाडु को इसका नया मुख्यमंत्री मिल गया था।
नाम ओ। पनीरसेल्वम। अम्मा के सबसे विश्वास पात्र। पैदाईस तामिलनाडु की। पन्नीरसेल्वम का करियर भी चाय ठेले से ही शुरू हुआ था। इकोनॉमिक्स की पढ़ाई करते थे। बीच में ही छोड़ना पड़ गया। इसके बाद चाय का ठेला चलाया। बाद में एक दोस्त ने कहा तुम पॉलिटिक्स में आओ। धीरे-धीरे कदम बढ़ाया। और अब तामिलनाडु के मुख्यमंत्री। उस राज्य का मुख्यमंत्री जहां के युवा सबसे ज्यादा हायर स्टडीज में जाते हैं। इससे पहले भी दो बार मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठ चुके। लेकिन अम्मा की अगुवाई में। इस बार अम्मा नहीं हैं। लेकिन गद्दी वही है।
और जैसा वो कहते हैं, 'शोक के बाद सियासत शुरू होगी'।