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यह अद्भुत मंदिर 7 दिन पहले ही दे देता है बारिश की सूचना

Updated Thu, 09 Jun 2016 11:34 AM IST
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विस्तार

इस भीषण गर्मी में सभी को बारिश का बेसब्री से इंतज़ार है लेकिन पता नहीं बारिश कब आएगी.. ये मौसम विभाग वाले भी सही से कुछ बता नहीं पाते, लेकिन ये इंडिया है मेरे दोस्त! यहां मौसम विभाग वाले बता पाएं या न बता पाएं, एक मंदिर है जो बारिश की खबर पहले ही दे देता है।  वैसे तो भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी भव्यता या सुंदरता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अपनी एक अनोखी विशेषता के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह मंदिर बारिश होने की सूचना 7 दिन पहले ही दे देता है आप शायद यकीन न करें पर यह हकीकत है।

ये मंदिर करता है बरसात की भविष्यवाणीFARMERS_27319g

बरसात को लेकर किसान हमेशा असमंजस में रहता है। ऐसे में मौसम विभाग की सूचना पर ही भरोसा कर अपनी फसल उगाने की तैयारी करता है| कभी-कभी मौसम विभाग की भी भविष्यवाणी गलत निकल जाती है, तो उसकी सारी आशाएं धरी की धरी रह जाती हैं।

बना हुआ है चर्चा का विषयrain

उत्तर प्रदेश कानपूर के विकासखंड मुख्यालय के बेहटा गांव में स्थित जगन्नाथ मंदिर बारिश के सम्बन्ध में बिलकुल सही जानकारी बताने के कारण वहां के लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर की खासियत यह है किरसात से 7 दिन पहले इसकी छत से बारिश की कुछ बूंदे अपने आप ही टपकने लगती हैं

आज भी बना हुआ है रहस्यmagical-temple

हालांकि इस रहस्य को जानने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं पर तमाम कोशिशों के बाद भी मंदिर के निर्माण तथा सही समय का रहस्य पुरातत्व वैज्ञानिक पता नहीं लगा सके। बस इतना ही पता लग पाया कि मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था। उसके पहले कब और कितने जीर्णोद्धार हुए या इसका निर्माण किसने कराया आज भी अबूझ पहेली बनी हुई हैं।

जगन्नाथ और बलदाऊ की मुर्तियांDSC01038

इस मन्दिर में भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थर की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं सूर्य और पदमनाभम भगवान की भी मूर्तियां हैं। मंदिर की दीवारें 14 फीट मोटी हैं। वर्तमान में मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है।

कैसे चलता है बारिश का पताIMG_3433

मौसमी बारिश के समय मानसून आने के एक सप्ताह पूर्व ही मंदिर के गर्भ-ग्रह के छत में लगे मानसूनी पत्थर से उसी आकार की बूंदें टपकने लगती हैं, जिस तरह की बरसात होने वाली होती है। जैसे ही बारिश शुरू होती है वैसे ही पत्थर सूख जाता है।

कोई इतिहास नहीं127061-004-9CBEE54D

हालांकि मंदिर का आकार बौद्ध मठ जैसा है। जिसके कारण कुछ लोगों की मान्यता है कि इसको सम्राट अशोक ने बनवाया होगा, परन्तु मंदिर के बाहर बने मोर और चक्र की आकृति से कुछ लोग इसको सम्राट हर्षबर्धन से जोड़ कर देखते हैं।
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