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कॉफी दुनिया के सबसे पसंदीदा पेय में से एक है। लेकिन ये चाय से महंगी है और इसीलिए इसे अमीरों का पेय माना जाता है। हालांकि इसकी भी अपनी क्लास हैं। जैसे कि हम इंसानों की होती है। मोटे तौर पर हमारी दो क्लास हैं- एक अमीर और दूसरा गरीब। फिर अमीर में मिडिल क्लास, लोअर मिडिल, अपर मिडिल और फिर बिजनेस क्लास। ऐसे न जाने कितनी क्लास हैं।
कॉफी का भी कुछ-कुछ ऐसा ही मान लीजिए। यहां भी सस्ती और महंगी कॉफी के अलावा कई क्लास हैं। सबसे महंगी है- ब्लैक आइवरी ब्लैंड। उत्तरी थाइलैंड में बनाई जाने वाली इस कॉफी की अनुमानित कीमत 1150 डॉलर प्रति किलो है। आपके दिमाग में भी अब एक बात जरूर आ रही होगी कि ऐसा क्या है इस कॉफी में ? तो भइया बताए देते हैं कि इस कॉफी की आपके कप तक की यात्रा कैसे तय होती है। इसकी यात्रा की शुरुआत होती है हाथी की लीद से।
मेट्रो डॉट यूके के अनुसार इस कॉफी के बीज बनाने की प्रक्रिया आपको काफी घिनौनी लग सकती है। इसके तहत पहले हाथियों को कॉफी की फली यानी बीज खिलाए जाते है। हाथी कच्ची फलियां खाते हैं, उसे पचाते हैं और लीद गिरा देते हैं। इस लीद से कॉफी के बीच निकाले जाते हैं। इस काम में लगे एक कर्मचारी के अनुसार एक किलोग्राम काफी प्राप्त करने के लिए एक हाथी को लगभग 33 किलोग्राम कॉफी के कच्चे फल खिलाए जाते हैं और फिर उसकी लीद से कॉफी के बीज निकाले जाते हैं।
हाथी की लीद से बीज निकालने का काम हाथियों के प्रशिक्षित ट्रेनर करते हैं। बीज निकालने के बाद उन्हें धूप में सुखाया जाता है और पीस कर पाउडर बनाया जाता है। इस तरह तैयार होती है दुनिया की महंगी कॉफी ब्लैक आइवरी ब्लैंड। खास बात ये है कि इस कॉफी में कड़वापन बिलकुल नहीं होता।
हाथी की लीद से क्यों बनती है कॉफी ?
थाइलैंड का अनंतारा होटल इस कॉफी को 'नेचुरली रिफाइंड' यानी प्राकृतिक रूप से शोधित कॉफी बता रहा है। होटल का कहना है कि उसके बाकायदा इस संबंध में रिसर्च कराई है। "रिसर्च से साफ हो जाता है कि पाचन क्रिया के दौरान हाथी के एन्जाइम कॉफी के प्रोटीन को तोड़ देते हैं।" प्रोटीन टूटने के साथ ही कॉफी का कड़वापन लगभग खत्म हो जाता है। इसके अलावा हाथी केला, गन्ना एवं अन्य फलों को भी खाता है जिसके कारण कॉफी में फलों की गंध मिल जाती है। तो समझ गए जनाब।