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इस देश की स्थिति कुछ यूं है कि आए दिन कहीं न कहीं कोई नवजात कूड़े के ढेर में पड़ा हुआ मिल ही जाता है। उस वक़्त इंसानियत पर शक होने लगता है। लगता है कि इस दुनिया में कहीं किसी तरह के भाव बचे भी हैं कि नहीं? लेकिन वहीं कुछ घटनाएं ऐसी हो जाती हैं जब हम ये कह सकते हैं कि इंसानों से ज़्यादा जानवरों में भावनाएं होती हैं।
ताज़ा घटना इलाहाबाद की है जहां एक बंदर ने एक छोटे पिल्ले को अपना लिया। लोग इसे देखकर बिल्कुल हैरान रह गए। लेकिन उन दोनों की दोस्ती पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।
हुआ यूं कि इस बंदर ने इस पिल्ले को अकेले घूमते हुए देखा और फिर इसने आकर इसे पकड़ लिया और पकड़ कर बैठ गया। लोग इसे देखकर चौंक गए और रुक कर ये सब देखने लगे। कुछ लोग बड़ी उत्सुकता के साथ तस्वीरें भी लेने लगे।
ये बंदर जहां जाता अपने साथ इस छोटे से पिल्ले को कर ही जाता। इसके बाद कुछ लोगों ने इन्हें खाना देना भी शुरू कर दिया।
इन सबके बीच बंदर की अपनी उछल-कूद भी जारी रही। लेकिन वो जहां भी जाता अपने साथ इस छोटे से क्यूट पपी को लेकर ज़रूर जाता। इस बंदर से हम इंसानों को ये सीखने की ज़रुरत है कि शायद इंसानियत शब्द का कोई मतलब ही नहीं है। भई आजकल इंसान जो कुछ कर रहे हैं उसके बाद इंसानियत शब्द को सुनकर कोई अच्छी फीलिंग तो आती नहीं है।
यहां हम लोगों को अपनी ज़िंदगी से निकालने की कोशिश कर रहे हैं, अपने सामाजिक जीवन को और सिकोड़ रहे हैं, अपने ही मां-बाप से दूर जा रहे हैं वहीं ये जानवर अपना चरित्र भूलकर कभी-कभी हमें हैरान कर देते हैं। तो क्यों न इस जानवारियत से कुछ सीखा जाए!