मानव तस्करी, ये शब्द सुनने में ही कितना भयावह लगता है। लेकिन यह इस दुनिया का बहुत बड़ा सच है। भारत में ही न जाने कितने लोग रोज इसका शिकार होते हैं। आमतौर पर ऐसा समझा जाता है कि महिलाएं और बच्चे सॉफ्ट टारगेट हैं लेकिन सच तो यह है कि बंधुआ मजदूरी के लिए पुरुष, महिला और बच्चे बराबर संख्या में तस्करी का शिकार होते हैं।
लेकिन भारत से एक और तस्करी मामला सामने आया है जिसमें करीब 100 बच्चों को पेरिस भेजा गया। ये रैकेट मुंबई से संचालित हो रहा था और इस मामले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस तस्करी की खास बात यह है कि ये सब अभिभावकों की जानकारी में हो रहा था।
अभिभावक यह सब इसलिए कर रहे थे जिससे उनके बच्चों का भविष्य विदेश जाकर बेहतर बन सके और उनके परिवार का नाम समाज भर में रौशन हो सके। ये वो मां-बाप हैं जिन्हें चार लोगों के सामने यह कहने का शौक होता है कि हमारा बच्चा तो विदेश पढ़ने गया है। अब कैसे गया है ये तो उनको ही पता था।
पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। सुनील नंदवानी और नरसैया मुंजलि। ये दोनों ही नालासोपारा में पकड़े गए। पुलिस को इनके फोन नंबर सीज्ड डॉक्यूमेंट में मिले। नंदवानी करीब 5-6 बच्चों को पेरिस ले जा चुका था वहीं मुंजलि ने 2 बच्चों को वहां भिजवाया था। लेकिन उन्हें बच्चों के लिए फ्रेंच वीजा नहीं मिल सके थे। इन दोनों को ही पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है। ये बच्चे 14-16 साल तक के थे।
इन लोगों का प्लान ये होता था कि बच्चों को 18 साल की उम्र तक वहां रखा जाए और उसके बाद उन्हें वहां की नागरिकता दिलवा दी जाए। क्राइम ब्रांच को कहीं से ये खबर मिली कि 4 बच्चों को पेरिस ले जाया जा रहा है और उनकी पहचान संदिग्ध है। पुलिस ने मुंबई एअरपोर्ट से बॉलीवुड के कैमरामैन और उसकी टीम को गिरफ्तार किया और बच्चों को रिमांड होम भेज दिया गया।
यह एक पूरा गैंग है जो बच्चों की तस्करी करता था। अधिकतर बच्चे पंजाब से थे। इस गैंग का एक एजेंट पंजाब के लोगों से संपर्क कर उन्हें वहां भेजता था। अधिकतर अभिभावक माध्यम वर्गीय परिवार से थे और वो अपनी सारी जमा पूंजी अपने बच्चों को विदेश भेजने में ही लगा देते थे। यहां तक कि इनमें से कइयों ने अपनी जमीन भी बेच दी थी। ये सब पिछले तीन सालों से चल रहा था।
इन बच्चों को पेरिस के किसी गुरुद्वारे में ले जाकर छोड़ दिया जाता। इनके पासपोर्ट को नष्ट कर दिया जाता और इसके बाद पेरिस के एजेंट इन बच्चों को अपने साथ ले जाते। पुलिस अब आगे की कार्यवाही कर रही है।
सोचने वाली बात है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी तस्करी के ऐसे रैकेट चल रहे हैं। पुलिस की नाक के नीचे से इतने सारे बच्चों को देश से बाहर ले जाया गया और तीन सालों तक किसी को कानों कान खबर नहीं हुई। वो अभिभावक भी ऐसे लोगों पर विश्वास कर रहे हैं जिनका असल में कुछ अता-पता ही नहीं है। अब असली बात तब सामने आएगी जब यह पता चलेगा कि जो 100 बच्चे तस्करी की मदद से पेरिस पहुंचे वो आज कहां हैं और क्या कर रहे हैं। जब लोगों को विदेश भेजना इतना आसान है तो सोचिए भारत के अंदर ही न जाने कितने सारे बच्चों को इसी तरह मानव तस्करी का शिकार होना पड़ता होगा।
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