विस्तार
महंगे सामान दो ही तरह के लोग खरीदते हैं। एक जिन्हें दिखाने का शौक होता है और दूसरे जिन्हें इस्तेमाल करने का शौक होता है। दिखाने वाले लोगों की श्रेणी का ऐसा ही एक मजेदार मामला फिनलैंड में देखने को मिला। यहां पुरानी सरकारों के फिजूल खर्चे का विश्लेषण किया जा रहा था। इसी दौरान एक पर्ची मिली, जोकि संसद के अकाउंट विभाग में कार्यरत कर्मचारी द्वारा लिखी थी। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री पावो लिप्पोनन के आदेश पर 4.43 करोड़ रुपये की लग्जरी कार मंगाई गई थी।
कार को इस उद्देश्य के साथ खरीदा गया था कि जब वीआईपी मेहमान आएंगे तो उन्हें इसी में घुमाया जाएगा। लेकिन घुमाना तो छोड़ो यह कार, गैराज से कभी बाहर ही नहीं निकली। उसमें कभी कोई बैठा ही नहीं।
इतनी महंगी कार खरीदी गई, फिर उसे चलाया नहीं गया। ये सवाल हर किसी को परेशान कर रहा था। इसके बारे में जानकारी खंगाली गई तो पता चला कि जिन नौकरशाहों की बात मानकर पूर्व प्रधानमंत्री ने कार खरीदी थी, उन्हीं नौकरशाहों ने कार को अव्यवहारिक करार देते हुए इसे दोबारा गैराज में खड़ा करा दिया था। किन कारणों से कार अव्यवहारिक किया गया था, यह जानकर आपका दिमाग चकरा जाएगा।
आलीशान कार के भारे में कहा गया कि यह कार आरामदायक नहीं है, इसके दरवाजे इतने भारी हैं कि इन्हें खोलने में आसानी होती है।
कार का माइलेज बहुत खराब है, 43 लीटर ईंधन में सिर्फ यह 100 किमी चलती है।
23 हजार किमी चलने के बाद इसके बुलेटप्रूफ टायर बदलने पड़ते हैं, जिनकी कीमत 8.5 लाख रुपये होगी।