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कानून के हाथों की चर्चा तो बहुत होती है, 90 की दशक की हर फिल्म में ये डायलॉग जबरन फिट कर दिया जाता था कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। लेकिन किसी भी फिल्म में कानून के दिमाग की बात नहीं की जाती थी। देश में कुछ सालों पहले तक ऐसे बहुत से कानून थे जिनके बारे में सुनकर आपकी हंसी छूट जाएगी। आप भी सोचेंगे कि आखिर किस आधार पर ऐसे कानून बना दिए गए। मौजूदा सरकार ने कई सारे कानूनों को खत्म कर दिया है, लेकिन आपको जानना चाहिए कि क्या थे वो कानून जिनके होने या न होने से आपको क्या फर्क पड़ता है?
80 साल पहले एयरक्राफ्ट कानून 1934 बना था। जिसके मुताबिक आपको पतंग उड़ाने के लिए लाइसेंस की जरूरत होती थी। यानी अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता हुआ दिखााई दिया तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता था। बिना परमिट के आप किसी पतंंग उत्सव में भी शामिल नहीं हो सकते थे। इस कानून को हाल ही में खत्म किया गया, अब सोचिए अगर इस कानून के मुताबिक तो ज्यादा लड़के जेल जा चुके होते… क्योंकि पतंग को सिर्फ उड़ाया नहीं जाता था बल्कि इससे आशिकी भी बहुत की जाती थी।
1914 में आंध्र में कानूनी प्रावधान में लाया गया कि ट्रैफिक इंस्पेक्टर के दांत हरदम चमकने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो इंस्पेक्टर को अयोग्य माना जाएगा। जरा सोचिए कि अगर ये कानून आज पूरे देश में लागू होता तो उत्तर प्रदेश के कई इंस्पेक्टर कब के अयोग्य मान लिए जाते.. वहां तो दरोगा बाबू पान न खाएं तो ये उनकी शान के खिलाफ कहलाएगा!
पुराने ट्रेजर एक्ट के मुताबिक अगर 10 रुपये से ज्यादा आपको सड़क पर मिलें तो इसकी जानकारी अथॉरिटी को देनी होती थी। ऐसा नहीं करने पर जेल भी जाने का प्रावधान था। इसके बारे में कुछ नहीं बोलेंगे आप खुद ही सोच लीजिए।
ये कानून दिल्ली वालों के लिए था कि अगर शहर में टिड्डियों की संख्या बढ़ गई है तो आपको सड़क पर ड्रम बजाने के लिए बुलाया जा सकता है। अगर आप मना करते हैं या नहीं पहुंच पाते हैं तो आप पर 50 रुपये का जुर्माना और 1 साल तक की जेल का प्रावधान था। इसे खत्म कर दिया गया।
मोदी सरकार अब तक करीब 1175 ऐसे अजब-गजब कानूनों को खत्म कर चुकी है जो आज के हिसाब से फिट नहीं बैठते थे। ऐसे कानूनों की फेरहिस्त अभी बाकी है जो जल्द ही प्रभाव से बाहर कर दिए जाएंगे।