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पुरानी प्रथाओं के नाम पर हम इंडिया वाले खुद को ज्यादा ही बदनाम करते हैं। पुराने जमाने में ऐसी ही प्रथाओं का ट्रेंड था, हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दूसके देशों में भी अजीब गरीब प्रथाएं चलती थी। जापान की ऐसी ही एक प्रथा सामने आई है। जिसको सुनने के बाद आप सिर पीट लेंगे।
जापान में नाजीकूमो त्योहार मनाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि त्योहार के इन दिनों में बच्चों के भविष्य को सुनहरा बनाया जा सकता है, इसके लिए लोग एक बड़ा सा रिंग (जिसमें कुश्ती होती है, वो वाला) बनाते हैं, जिसमें अपने उस नन्हे मुन्ने दिल के टुकड़े को एक सूमे के साथ छोड़ देते हैं।
सूमो को इन बच्चों को रुलाना होता है, ये पहलवान छोटे-छोटे बच्चों को अपनी गोद में लेकर उन्हें रुलाने की कोशिश करते हैं, वैसे ज्यादातर बच्चे गोद में आते ही चिल्लाने लगते हैं लेकिन कुछ एक बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें रुलाने के लिए सूमो को मशक्कत करनी पड़ती है। रिंग में एक रंग बिरेंगे कपड़ों वाला रेफरी भी होता है, जो बच्चों को हो-हो करके रुलाने में मदद करता है।
जापान में ऐसी मान्यता है कि बच्चों के इस तरह चीखने से बुरी शक्तियों का नाश होता है, बच्चे जितनी जोर से चीखेंगे बुरी शक्तियां उतनी दूर भागेंगी और नौनिहालों का भविष्य उतना ही सुरक्षित होगा। इसके लिए पेरेंट्स को 70 पाउंड यानी की 6500 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं।