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पांडा बेहद क्यूट होते हैं। ये लगभग विलुप्त हो गए थे। इन्हें बड़ी मुश्किल से बचाया जा रहा है। पांडा चीन में पाए जाते हैं और इन्हें वहां कड़ी निगरानी में रखा जाता है और इनपर रिसर्च भी किए जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि भालू होने के बावजूद इनके फ़र का रंग काला और सफ़ेद क्यों होता है?
वैज्ञानिकों ने अब इस बात का पता लगा लिया है और इसके पीछे का कारण बहुत रोचक है!
ये बात तो पहले से ही स्पष्ट थी कि जाइंट पांडा के रंग की मदद से उसे जंगल में खुद को छिपाने और दूसरे पांडा से बात-चीत करने में मदद मिलती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसके पीछे की कुछ बारीकियों को भी ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों का मानना था कि इसके लिए 2 रंगों का होना आवश्यक नहीं है।
वैज्ञानिकों ने पांडा की तुलना दूसरे कई जानवरों से की जिनमें 195 घास खाने वाले जानवर और भालुओं की 39 अन्य प्रजातियां शामिल थीं। इसके बाद इस टीम ने पांडा के शरीर के अलग-अलग हिस्सों के रंग की तुलना उनके अलग-अलग जगहों पर व्यवहार से की।
इस स्टडी के बाद वैज्ञानिकों को पता चला कि ज़्यादातर पांडा के शरीर का सफ़ेद हिस्सा उनकी गर्दन, चहरे और पेट के आस-पास होता है। ऐसा इसलिए होता है जिससे वो बर्फ़ीले इलाकों में खुद को शिकारी जानवरों से छिपा कर रख सकें। वैज्ञानिकों को ये भी पता चला है कि इनके फ़र में 2 रंग इसलिए होते हैं क्योंकि ये बांस खाते हैं और वो इन्हें ढंग से पच नहीं पाता।
यही वजह है कि ये दूसरे भालुओं की तरह सर्दियों में निष्क्रिय नहीं हो पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खाना न पच पाने की वजह से ये अपने शरीर में अधिक फैट इकठ्ठा नहीं कर पाते हैं। इस वजह से इन्हें पूरे साल अपना आवास बदलना पड़ता है और ये बर्फ़ीले इलाकों और जंगलों दोनों में निवास करते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ इनके सिर पर जो निशान होते हैं वो शिकारियों से बचने के लिए नहीं बल्कि संचार के लिए होते हैं। और इनके काले कान शिकारियों को डराने का काम करते हैं। वहीं आंख के आस-पास के काले घेरे इन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं और इनकी मदद से ये अपने प्रतिद्वंदी पांडा की तरफ़ गुस्सा भी दिखाते हैं।
तो अब पांडा के फ़र का राज़ खुल चुका है!