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वैज्ञानिकों ने कई सालों पहले सिद्ध कर दिया था कि पेड़ भी इंसानों की तरह सजीव होते हैं, वो सांस लेते हैं, खाना बनाते-खाते हैं, रोते-गाते हैं, बीमार भी पड़ते हैं। बाकी सारा सिस्टम तो किताबों में पढ़ा दिया गया लेकिन ये कभी नहीं बताया गया कि तब क्या करते हैं जब पेड़ बीमार पड़ते हैं। तेलंगाना में एक पूरा सिस्टम इस पेड़ की सेवा में लगा हुआ है। ये पेड़ भी खास है, पेड़ को इंसानों की तरह पानी की बोतलें चढ़ाई जा रही हैं।
तेलंगाना के महबूबनगर में एक पेड़ है, जो पिछले 700 सालों से वहां खड़ा है, यह दुनिया का दूसरा सबसे पुराना जीवित पेड़ है। अब इस पेड़ का बुढ़ापा आ चुका है, दीमक की वजह से इसका एक हिस्सा खोखला हो चुका है। तीन एकड़ में फैले इस पेड़ को बचाने के लिए सेलाइन ड्रिप की तरह दवाई दी जा रही है। केमिकल को डाल्यूट की गई हैं और उन्हें पूरे पेड़ पर चढ़ा दिया गया है। हर दो मीटर पर एक बोतल लटकी हुई है, जिसकी मदद से पेड़ को तंदरुस्त बनाने की कवायद जारी है।
इससे पहले पेड़ के आंतरिक हिस्से में केमिकल डाला गया था लेकिन उससे कोई असर नहीं हुआ। फिर पेड़ को सलाइन ड्रिप के सहारे केमिकल पहुंचाया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यह तरीका थोड़ा काम कर रहा है। इसके अलावा पेड़ को सहारा देने के लिए क्रंक्रीट के प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं ताकि इसकी बड़ी-बड़ी शाखाएं जमीन पर न गिरें। इन दोनों कामों के अलावा पेड़ के तने को सपोर्ट देने के लिए पाइप्स और चिलर्स लगाए गए हैं। ताकी वह झुके न।
महबूबनगर के जिला वन अधिकारी गंगा रेड्डी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि जानकारों से राय मश्वरा किया जा रहा है। यहां के जिलाधिकारी इस पर खास निगाह बनाए हुए हैं। उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में सब सामान्य किया जा सकेगा।