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कुख्यात आतंकी संगठन IS ‘जिहाद’ के नाम पर कई युवाओं और लोगों को गुमराह कर अपने खतरनाक इरादों के साथ जोडता है। अमेरिकी अखबार न्यू यार्क टाइम्स के मुताबिक, “इस्लामिक स्टेट के काले बादल पाकिस्तान पर भी मंडरा रहें है।”
इराक और सीरिया के अलावा 9 देशों के करीब एक दर्जन उग्रवादी संगठनों ने IS को मदद करने की जिम्मा उठाया है। यह सीधे तौर पर IS को लड़ाके मुहैया कराने वाले हैं। इसे आप विदेश में IS के रिक्रूटमेंट के रुप में भी देख सकते हैं। देखते हैं कि किन देशों के संगठनों से IS के तार अंदर ही अंदर जुड़ रहें है:
तालिबान से अलग हुए छोटा से समूह जुन्दाल्लाह ने तेहरीक-ए-तालिबान के कुछ लड़ाकों के साथ मिलकर IS को सहायता देने का फैसला किया है। जुन्दाल्लाह के प्रवक्ता ने कहा है कि आईएस के लोग उनके लिए ‘भाईयों’ की तरह हैं और वो जो भी काम करेंगे वो उसका समर्थन करेंगे। इसके अलावा तालिबान के सीधे संबंध अल-कायदा के नेतृत्व से जुड़ते हैं, जो आईएस का समर्थक हैं। इसके अलावा कई पाकिस्तानी संगठन तेहरीक-ए-खिलाफत और जमात-अल-अहर्र भी IS को मदद दे रहें हैं।
इस्लाम के नाम पर आतंक को शय मिस्र के सिनाई में काफी समय से मिल रही है। इसमें से सबसे प्रमुख है अंसर बीत अल- मकदिस, जिसमें करीब 1000 लड़ाके शामिल हैं। इस संगठन ने IS और बगदादी को समर्थन देने का फैसला किया है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि इस साझेदारी से उन्हें भी हथियार और पैसे मिलते रहेंगे, जिससे वो मिस्र पर काबू पा सकेंगे। इस संगठन ने वीडियो जारी कर मिस्र के लोगों को कहा है कि वो बगदादी का ‘हुक्म’ मानें। बगदादी भी अपने बयानों में इस संगठन का जिक्र कर चुका है।
पाकिस्तान की ही तरह, अल्जीरिया के ‘खलीफा’ समर्थक उग्र संगठन जुंद अल-खलीफा’ के तार अल-कायदा से जुड़ते हैं। लादेन और जवाहिरी जैसे खूंखार लोगों से इसका संपर्क था। अल कायदा के इस्लामिक मगरीब से अलग हुए इस संगठन ने आईएस से हाथ मिलाने का फैसला किया है। इस संगठन के सरगना खालिद अबु सुलेमानी ने कहा है कि इस अल कायदा इस्लामिक मगरीब अपने रास्ते से भटक गया है। अब वो बगदादी का हुक्म मानेंगे। इसके संदेश के बाद इस संगठन ने फ्रांस के एक नागरिक का गला काट दिया था।
नए और अज्ञात उग्रवादी संगठन ने लीबिया के तटीय शहर डेरना को अपने कब्जे में ले लिया। अपने आप को इस्लामिक यूथ शूरा काउंसिल कहने वाले इस संगठन मे IS से हाथ मिलाने के बाद कहा कि IS की खिलाफत वो लोग करते हैं जिनके आत्मा मर गई है या जो काफिर और कपटी हैं। आईवायएससी ने डेरना को IS की ‘चौकी’ घोषिक करते हुए इसका नाम विलायत डेरना कर दिया। यह IS की बड़ी चौकी बन गई है।
फिलीपींस में इस्लामिक कानून चाहने वाले संगठन अबु सैय्यफ ने IS के इरादों को अपने समर्थन दिया है। यू-ट्यूब पर जारी एक वीडियो में अबु सैय्यफ के सरगना इस्निलों हपीलों ने कहा है कि हम बगदादी को हुक्म को पूरे दिल और होश से मानेंगे। इस संगठन ने दो जर्मन महिलाओँ को किडनैप कर जर्मनी से 50 लाख डॉलर की फिरौती की मांग की और IS के खिलाफ कदम न उठाने की धमकी भी दी।
गाजा का अंसर बीत अल-मकदिस संगठन किसी से छुपा नहीं है। कहा जाता कि इसने इस साल इस्रायल में कुछ रॉकेट दागे थे। इस संगठन ने IS के साथ हाथ मिलाने के बाद अपना नाम बदल कर अल-दावला अल इस्लामिया कर लिया।
लेबनान का सुन्नी बालबेक ब्रिगेड एक सुन्नी उग्रवादी संगठन है, जो शिया कानून के खिलाफ है। यह कई दफा शिया समूहों के खिलाफ खूनी संघर्ष कर चुका है, जिसमें सबसे बड़ा नाम है हेजबुल्लाह का। इस संगठन ने ट्विटर पर बगदादी को मुस्लिमों को खलीफा बता कर उसको सहायता देने का एलान किया है।
जेल में कैद जावा के संगठन अशोरत तौहीद के सरगना अबु बक्र बशीर ने जेल से ही आईएस का साथ देने की कसम खाई है। बशीर जिहादी ट्रेनिंग कैम्प चलाने के कारण 15 साल से जेल में हैं। इस संगठन ने खुद को जिमाह इस्लामिया से अलग किया है। बशीर से खफा उनके ही संगठन के कई लोग हैं। उसके खुद के बेटे ने उसका संगठन छोड़ दिया।
जॉर्डन में आतंक को पनाह के देने के लिए IS ने खुद ही एक संगठन बनाया, जिससे वो वहां के युवाओं को जोड़ सके। इस समूह को नाम दिया
‘सन्स ऑफ द कॉल फॉर जेहाद’ अल कायदा को छोड़ कर हजारों युवा IS से यह कह कर जुड़े कि IS सहायता करना उनका पहला मकसद है।
खैर, जो भी हो, लेकिन आतंक का कोई मजहब नहीं होता। इस्लाम के नाम पर हो या जिहाद के नाम पर या किसी भी अन्य नाम पर, आतंक के चेहरे बहुत है, लेकिन मजहब नहीं हैं।