100 साल पुरानी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में लड़को ने किया ये बड़ा बदलाव, टूट गई ऐतिहासिक परंपरा
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Wed, 16 Jan 2019 04:48 PM IST
एक ओर पुरुष प्रधान विश्व में अधिकतर सुविधाएं पुरुषों को मिलती आ रही हैं और इस बात की शिकायत महिलाओं ने कभी नहीं की बल्कि खुद उस काबिल बनने की कोशिश लगातार करती आईं हैं, जिससे उन्हें उनका हक मिल सके।लेकिन दुनिया के सबसे पुराने और प्रख्यात विश्विद्यालय में 100 सालों से पुरुष वर्ग एक अधिकार से वंचित था।जानिए क्या है वो अधिकार!
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बीते 100 साल से चली आ रही एक परंपरा को अब खत्म कर दिया गया है। ये परंपरा है फेलोशिप की। जो केवल महिलाओं को ही दी जा रही थी। छात्रों ने लिंगभेद का आरोप लगाया था कि फाइन आर्ट्स के क्षेत्र में उन्हें स्कॉलरशिप नहीं दी जा रही है।
विश्वविद्यालय में महिलाओं को फाइन आर्ट्स, म्यूजिक और साहित्य में बीते 100 सालों से स्कॉलरशिप मिल रही थी। ये स्कॉलरशिप छात्रों को नहीं मिल रही थी। छात्रों के आरोप के बाद उनकी मांग को मान लिया गया है। यानी अब वो भी स्कॉलरशिप पाने के हकदार होंगे।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है छात्रों को स्कॉलरशिप न देने से रोजगार समानता एक्ट का उल्लंघन हो रहा था। स्कॉलरशिप की शर्तों को 10 जनवरी से लागू किया गया है। इस जुनियर फेलोशिप की घोषणा ब्रिटिश पुरातत्वविद और ऑक्सफोर्ड ग्रेजुएट डेविड रांडेल मैकाइवर ने पत्नी जोआना रांडेल की याद में की गई थी। जिसमें फाइन आर्ट्स, म्यूजिक और साहित्य के पाठ्यक्रमों में स्कॉलरशिप दी जा रही थी।
जहां विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने इस नए फैसले का स्वागत किया है। वहीं यहां की प्रोफेसर एलिजाबेथ कुलिंगफोर्ड ने इसपर सवाल खड़े किए हैं। खुद भी फेलोशिप से पढ़ाई करने वाली एलिजाबेथ का कहना है कि एक या दो फैसले से संस्था को खतरा तो नहीं है और समानता भी मिलनी चाहिए लेकिन ये कोई महान फैसला नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज हमेशा से ही पुरुष प्रधान रहा है। महिलाएं आसानी से कॉलेज तक नहीं आ पाती हैं, उनके लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में समानता को बढ़ावा देने के लिए कई कोशिशें की जा रही हैं। जैसे महिला शिक्षकों की भर्ती और उनके कल्याण के लिए नए कार्यक्रमों की शुरुआत। इसके अलावा यहां ही और शी की बजाय झी का संबोधन की पहल भी की गई है। ऐसा लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव को खत्म करने के लिए किया गया।