क्या आप देश के उस वैज्ञानिक के विषय में जानते हैं जिसे देश का गद्दार बोला गया। कई सालों तक इस महान वैज्ञानिक ने अपने सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी और फिर प्रकृति का खेल ऐसा कि जिस देश ने उन्हें गद्दार घोषित किया था। उसी देश ने उन्हें दूसरे सबसे बड़े सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया। यूं तो ऐसी कहानियां फिल्मों में देखने को मिलती हैं लेकिन ये सच्ची कहानी भारत के वैज्ञानिक की है।
ये एक एेसे प्रतिभावान वैज्ञानिक की कहानी है, जिसपर देश से गद्दारी का आरोप लगा, जेल भी गए और अंत में सरकार से सम्मान भी मिला। ये वैज्ञानिक पद्म भूषण नंबी नारायणन हैं। इसरो के इस वैज्ञानिक ने 'विकास इंजन' बनाया था। इस इंजन की वजह से ही भारत ने अपना पहला पीएसएलवी लॉन्च किया था। आज भी इसरो के एतिहासिक मिशनों में इसी इंजन का इस्तेमाल होता है।
आज भारतीय स्पेस तकनीक का अगुवाई करने वाले नंबी नारायणी को खुद को निर्दोष साबित करने में 24 साल लग थे। एक वक्त था जब भारत ठोस ईंधन के लिए रॉकेट के उच्च तकनीक के लिए विदेशों पर निर्भर था। नारायणन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने द्रव्य इंधन की दिशा में बदलाव की शरुआत की थी।
उनके इस विचार से उनके सीनियर जैसे डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, विक्रम साराभाई आदि सहमत नहीं थे लेकिन उन्हें आगे शोध करने की इजाजत दे दी गई। वो प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में रॉकेट प्रोपल्शन विषय पर शोध करने के लिए गए। उसके बाद उन्होंने पांच साल फ्रेंच विकिंग इंजन और लिक्विड प्रोपल्शन तकनीक पर शोध किया। वही तकनीक आगे चल कर 'विकास इंजन' को तैयार करने में कारगर साबित हुआ।
साल 1994 तक नारायण इसरो के क्रायोजेनिक स्पेस इंजन प्रोग्राम के इंचार्ज बन चुके थे। इस दौरान उन पर जासूसी करने का गलत आरोप लगा। नारायणन के साथ चार अन्य को गुप्त सुचनाओं को मालदीव के इंटेलिजेंस अधिकारी मरियम रशीदा और फौजिया हसन को देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। रिपोर्ट के अनुसार वो 50 दिनों तक जेल में भी रहे थे। यह केस 1996 में सीबीआई को सौंप दिया गया, सीबीआई ने जांच की रिपोर्ट केरला कोर्ट में पेश की और सभी आरोपों को निराधार बताया। लेकिन इससे नारायणन के चरित्र पर गहरा दाग लग चुका था और उनके नाम के साथ धोखेबाज लग चुका था।
लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनपर लगाए सभी आरोपों को खारिज कर दिया और केरल की सरकार को उन्हें हर्जाने के तौर पर 50 लाख देने का आदेश दिया। जब जनवरी में उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड देने की घोषणा हुई, उन्होंने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं, मुझ पर जासूसी करने का आरोप था, मेरी पहचान उस रूप में ज्यादा चर्चित थी, ये सम्मान मेरे योगदान को पहचान दिलाएगा।' नारायणन ने अपनी कहानी को किताब की शक्ल भी दी है, जिसका नाम है रेडी टू फायर है।