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Zara Hatke: 238 बार चुनाव हारने के बावजूद फिर लड़ने को तैयार पद्मराजन, चुनाव पर करते हैं इतना खर्च

फिरकी टीम, नई दिल्ली Published by: सोनिया चौहान Updated Sun, 31 Mar 2024 10:01 PM IST
सार

तमिलनाडु के सलेम से ताल्लुक रखने वाले 65 साल के पद्मराजन 238 बार हार का स्वाद चखने के बावजूद दोबारा आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

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238 बार चुनाव हारे पद्मराजन
238 बार चुनाव हारे पद्मराजन - फोटो : instagram
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विस्तार

देश में आगमी लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। तमिलनाडु के पद्मराजन अपनी जीत नहीं बल्कि हार के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। पद्मराजन को 'इलेक्शन किंग' के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु के सलेम से ताल्लुक रखने वाले 65 साल के पद्मराजन 238 बार हार का स्वाद चखने के बावजूद दोबारा आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इस बार पद्मराजन आम चुनाव में तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले की संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं।

चुनाव पर कितना खर्च कर चुके हैं पद्मराजन 

पद्मराजन ने देशभर में राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय चुनावों तक अलग-अलग स्तरों पर इलेक्शन लड़े हैं। 1988 से चुनाव लड़ रहे पद्मराजन अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं। बता दें कि पद्मराजन पीवी नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के खिलाफ भी चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन पद्मराजन कभी भी चुनाव जीत नहीं पाए।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पद्मराजन ने नामांकन शुल्क के लिए तीन दशकों से अधिक समय में लगभग 1 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसमें हाल में खर्च किया गया 25,000 रुपये का सिक्योरिटी डिपॉजिट शामिल है। इसमें हाल में खर्च किया गया 25,000  रुपये का सिक्योरिटी डिपॉजिट शामिल है।

पद्मराजन खुद को होम्योपैथिक डॉक्टर बताते हैं, उन्होंने चुनावों में भाग लेने के अपने जुनून से कई रिकॉर्ड बनाए हैं। पद्मराजन ने एक मोपेड सहित 1,10,000 रुपये की अपनी चल संपत्ति और 1 लाख रुपये की वार्षिक आय घोषित की थी। पद्मराजन ने कक्षा 8 तक पढ़ाई की है। वर्तमान में पद्मराजन अन्नामलाई ओपन यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए कर रहे हैं।

238 बार चुनाव हार चुके पद्मराजन एक बार फिर लोकसभा इलेक्शन 2024 लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। 65 वर्षीय टायर रिपेयर शॉप के मालिक पद्मराजन ने 1988 में तमिलनाडु के अपने होमटाउन मेट्टूर से चुनाव लड़ना शुरू किया था। पद्मराजन ने जब पहली बार चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरा था तो लोग उन पर हंसने लगे थे। लेकिन तब पद्मराजन ने कहा था कि वह यह साबित करना चाहते थे कि एक सामान्य आदमी भी चुनाव लड़ सकता है।
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