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आठ महीने बाद जेल से रिहा हुआ यह मुर्गा, जुर्म क्या था, यह जानकर छूट जाएगी हंसी और हो जाएंगे हैरान

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Fri, 31 Jul 2020 07:45 PM IST
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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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सोशल मीडिया पर दो चीजें एकदम परमानेंट रूप से 'विराजमान' रहती है कहने का मतलब एकदम फिक्स, पहला मजेदार वीडियो और दूसरा इमरान खान के नए पाकिस्तान का किस्सा। यूं तो पाकिस्तान के मंत्री और खुद इमरान खान आए दुनिया के सामने अपना मजाक बनवाने के लिए आए दिन कुछ न कुछ करते ही रहते है, लेकिन इस बार ये जहमत उठाई है पाकिस्तान पुलिस ने!

दरअसल पाकिस्तान पुलिस ने कुछ महीने पहले महीने पहले कुछ मुर्गों को हिरासत में लिया था, अब उनमें से एक को रिहाई मिल गई है। अब आपके मन में सवाल की घंटी तो जरूर बज रही होगी कि भला मुर्गों को पुलिस ने क्यों गिरफ्तार किया? चलिए आप सोच के सागर में डूबे इसे पहले हम बता देते है।

 
बीबीसी की छपी खबरों की माने तो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के दो थानों में पांच मुर्गे पुलिस के लिए पिछले 8 महीनों से मेहमान बने पड़े थे, जिन्हें पुलिस ने मुर्गों की लड़ाई के खेल पर छापेमारी के दौरान लोगों के साथ पकड़ा था, जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान में मुर्गों की लड़ाई को अपराध करार दिया गया है। इस अपराध के लिए पाकिस्तान में एक साल तक की कैद या 500 रुपये का जुर्माना लग सकता है।
पुलिस ने उन्हें मुर्ग़ों की लड़ाई के खेल पर छापेमारी के दौरान खेल में शामिल लोगों के साथ हिरासत में लिया था।  सभी अभियुक्त तो जमानत पर छूट गए, लेकिन मुर्गे केस प्रोपर्टी की हैसियत से पुलिस के पास रह गए क्योंकि उनके मालिकाना हक की दावेदारी किसी ने नहीं की थी।
पिछले दिनों घोटकी के स्थानीय निवासी जफर मीरानी ने सिविल जज की अदालत में अपील की थी कि पुलिस की हिरासत में रह रहे मुर्गे को रिहा कर उन्हें सौंप दिया जाए, अपीलकर्ता की दलील थी कि किसी निजी काम से वो कराची में रह रहे थे, इसलिए मुर्गे के मालिक होने का दावा नहीं कर सके थे। जिसके बाद अदालत ने पुलिस को मुर्गे को रिहा कर उसके मालिक के हवाले करने का आदेश दिया है। 
खबरों की माने तो पुलिस ने मुर्गे को लोकअप के बजाय  खुली जगह में रखा, लेकिन उसकी एक टांग रस्सी से बांधकर रखी गई और उसके खाने के लिए पुलिस को अपनी जेब से रोजाना करीब 100 रुपये करीब खर्च करती थी इसके साथ  का बाजरा भी लाना पड़ा, उन्हें बिल्ली और कुत्तों से बचाना भी पुलिस की ड्यूटी बन गई। क्योंकि मुर्गों को कुछ होने का मतलब अदालत की नाराजगी मोल लेना था।
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