पाकिस्तान में मेहंदी लगाकर चल रही है इस चीज के खिलाफ मुहीम, बड़े सितारे भी बने हिस्सा
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Sun, 10 Feb 2019 05:18 PM IST
पाकिस्तान में इस वक्त शादियों का सीजन उफान पर है। लेकिन देशभर में बहुत से ऐसे मां-बाप होंगे जिनको ये चिंता होगी कि सदियों से चली आ रही दहेज प्रथा खत्म न होने से उनकी बेटी का घर बसने से पहले कहीं उजड़ न जाए। कुछ दिन पहले 19 दिसंबर 2018 को पाकिस्तान में महिलाओं के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एक उप-संस्था की ओर से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर एक फोटो पोस्ट की गई। इस फोटो में मेहंदी के डिजाइन के अंदर लिखा था 'दहेज खोरी बंद करो।' उसी दिन इंस्टाग्राम पर पाकिस्तान के प्रसिद्ध अभिनेता अली रहमान खान की शादी की खबर काफी चर्चा में आ गई।
'पर्ची' फिल्म के अभिनेता ने एलान किया कि वह 20 दिसंबर को निजी टीवी चैनल के मॉर्निंग शो पर शादी रचाएंगे। वादे के मुताबिक अली सज-संवरकर शो में आए लेकिन डोली में दुल्हन की जगह दहेज का सामान पड़ा था। यह 'शादी' दरअसल यूएन वुमन पाकिस्तान की उस मुहिम का हिस्सा थी जिसका मकसद लड़के वालों की ओर से दहेज लेने की प्रथा के बारे में जागरुकता फैलाना था।
यूएन वुमन की प्रवक्ता अनम अब्बास ने बीबीसी को बताया कि इस मुहिम का असल मकसद लोगों में चेतना पैदा करना और दहेज देने की प्रथा को एक नकारात्मक चीज के तौर पर दिखाना है। उनका कहना था कि इस मुहिम के जरिए वह मर्दों में यह धारणा खत्म करना चाहते हैं कि वह लड़की के खानदान से आर्थिक लाभ उठा सकते हैं।
इस मुहिम को शुरू करने वाले अली रजा का कहना है कि समाज की विडंबना देखिए कि ससुराल से एक कप चाय पीने को मामूली बात समझने वाले मर्द दहेज की सूरत में 'स्टार्टअप फंड्स' लेने में बिलकुल शर्म महसूस नहीं करते।
इंस्टाग्राम पर अली रहमान खान लिखते हैं, "जब रिश्वत लेने वाले को रिश्वत खोर कहते हैं तो दहेज लेने वाले को दहेज खोर क्यों नहीं? दहेज हमारे समाज के हर वर्ग में जड़ें पकड़ चुका है और हमें इस अनियमितता को रोकना होगा।" टीवी अभिनेत्री एमन खान ने भी सोशल मीडिया पर लिखा, "मर्द की इज़्जत उस वक्त कहां होती है जब वह अपनी होने वाली बीवी और उसके खानदान से पैसे और घरेलू साजो-सामान मांगता है?"
इसी तरह अभिनेता उस्मान खालिद बट ने अपनी पोस्ट में कहा, "मैं जनता के सामने शपथ लेता हूं कि मैं कभी दहेज नहीं मांगूंगा। मैं ऐसे पवित्र रिश्ते को केवल लेनदेन का नाम नहीं दूंगा। वक्त आ गया है कि हम अपने समाज और मानसिकता को तब्दील करें।" उन्होंने लिखा कि दहेज से जुड़ी क्रूरता और सामाजिक दबाव को ख़त्म करने के लिए शब्द 'दहेज खोरी' को एक गाली मानना पड़ेगा।
सोशल मीडिया पर विभिन्न वर्ग के लोगों ने भी अपनी राय जाहिर की। जहां बहुत से लोगों ने इस कदम का स्वागत किया है। वहीं बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो रिश्ते के वक्त लड़कों से पूछे जाने वाले सवालों की तुलना दहेज खोरी से कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना था कि अगर लड़कियों से दहेज लिया जाता है तो लड़कों से भी उनकी आर्थिक स्थिति पूछी जाती है। फेसबुक पर एक शख्स ने कहा कि रिश्ते के वक्त लड़कों से उनकी तनख्वाह, घर का साइज, गाड़ी का मॉडल पूछना बंद किया जाए।इस दौरान इस ट्रेंड में हिस्सा लेने वाली अभिनेत्री एमन खान को भव्य शादी करने पर भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना था कि धूमधाम से शादी करने वाले सेलिब्रेटी दोगलेपन का प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस मुहिम को शुरू करने वाले अली रजा का कहना है, "हमारी इच्छा है कि लोग दहेज लेने को बुराई समझें। इसीलिए हमने भत्ताखोर और रिश्वतखोर जैसे नापसंद शब्दों से प्रभावित होकर यह शब्द बनाया। अब हमारी कोशिश हे कि इसे उर्दू शब्दकोश का बाकायदा हिस्सा बनाया जाए।"
वह कहते हैं कि मुहिम का मकसद लोगों में दहेज के मुद्दे पर बातचीत को बढ़ाना है और इस मुद्दे की शुरुआत उस बीज का बोया जाना है जो आगे चलकर दहेज के खिलाफ एक बड़ा पेड़ बनेगा। हालांकि, यूएन वुमन की अनम अब्बास के मुताबिक, ये मुहिम अपने लक्ष्य में इसलिए कामयाब हुई है कि इसकी मदद से सोशल मीडिया और असल जिंदगी में लोगों में चेतना बढ़ी है कि इस बारे में बहस की जाए।