विस्तार
नेता जी चुनावी मौसम में वादों को लेकर सपनों की दुनिया के बारे में ये क्या बोल गए आप। हम कहां मुंगेरीलाल की तरह रोज हसीन सपने देखने वाले हैं आपने तो पिटने-पिटाने वाले सपने दिखा दिए हैं। चुनावी दंगल शुरू होने वाला है। बीजेपी हो या कांग्रेस या महागठबंधन की फौज सब के सब पूरी तरह से चुनावी खुमारी में डूबने को तैयार बैठे हैं। बस चुनावी चच्चा के सिग्नल का इंतजार है। जनता को लुभाने के लिए अबकी बार वादे पर जोर ताबड़तोड़ जोर आजमाइश की जा रही है, मुद्दों की बारिश होनी शुरु हो गई है।
केंद्रीय मंत्री जी ने आम चुनाव से ठीक पहले ही वादों और सपनों की दुनिया पर स्थिति काफी स्पष्ट कर दी है। पता नहीं कहां इशारा करते हुए नेता जी ने चुनावी वादों को लेकर कहा है कि सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें वरना जनता सपने पूरे नहीं होने पर नेताओं की पिटाई भी करती है। मैं हवा में घोषणा नहीं करता हूं जो बोलता हूं वो डंके की चोट पर 100 प्रतिशत करके दिखाता हूं।
नेता जी निश्चित तौर पर आगे चलकर आपकी जमात की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। हालांकि, आपकी ये ओजपूर्ण वाणी किसके लिए और कहां इशारा करती है इसकी चारों ओर जांच जारी है। खैर कोई नहीं... जरा ध्यान से अबकी बार लोगों के बीच वादों का पिटारा खोलिएगा वरना कहीं वहां आपकी वाणी सच न हो जाए। आज हम आपको उन वादों की फेहरिस्त बता रहे हैं जिनसे अब लोग काफी ऊब चुके हैं और कहीं ऐसा न हो की जनता आपको भरे बाजार पीट ही दे...
नेता जी जरा ध्यान से अपने लाव लश्कर के साथ निकला करिए क्योंकि आपकी वजह से कई बार ट्रैफिक रोक दिया जाता है, और तो और एंबुलेंस तक को रास्ता नहीं दिया जाता है। कहीं ऐसा न हो कि गडकरी जी की बात सच हो जाए और राह चलते किसी दिन जनता वहीं न घेर कर पीट दे।
अरे हां नेताजी आपने पिछली बार जिस पाइप लाइन बिछाने का शिलान्यास किया था वहां आज तक पानी तो दूर जल निगम वाले वहां सड़क और खोद के चले गए हैं बेचारे लोग बहुत परेशान हो रहे हैं। चलो कोई नहीं आप समझदार हैं, बाकी गडकरी जी का बयान ध्यान रखिएगा।
अजी हां नेता जी पिछली बार जिस होर्डिंग में सड़क के शिलान्यास का दंभ भरा था वो तो आज तक वैसी की वैसी ही पड़ी है। अभी तक हमरे गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। फिर भी कोई नहीं ध्यान रखिएगा कहीं धमक न दिए जाओ।
आपका सबसे चहेता मुद्दा रोजगार इसको लेकर तो आप हमेशा से ही काफी संवेदनशील रहते हैं फिर भी बेरोजगारों की फौज बढ़ती ही जा रही है। नई नौकरियां कैसे सृजित की जाए इस पर आप पहले ही काफी माथापच्ची कर चुके हैं लेकिन बेरोजगारी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है। बाकी आप जानो आपका काम जाने बेरोजगार कुछ भी कर सकते हैं।
जाति-धर्म, मंदिर-मस्जिद, कालाधन, महंगाई, किसान, आरक्षण, बिजली, पानी और मकान ये तो आपके सदा बहार मुद्दे हैं जिन्हें आप कभी भी किसी भी रूप में चुनावी मौसम के दौरान बखूबी वोट में कैश कराने को आसानी से जानते हैं बाकी देश विडंबनाओं में तो फंसा ही है। मामला यहां विचाराधीन है हमने किसानों को कर्जमाफी के नाम पर 13 रुपए कर दिए हैं और भी अगर दिक्कत लग रही हो तो कोई नहीं किसान राहत केंद्र खोल दिया है।
और तो और स्वच्छ गंगा का नारा सुनते-सुनते कई पीढ़ियों की अस्थियां गंगा में बह गईं लेकिन गंगा अभी भी दूषित है। बेचारी ऊपर से ही आपको बददुआ और श्राप दे रही हैं न जाने निगोड़े कब गंगा सफाई के नाम की ढपली बंद करेंगे। और साफ गंगा का सपना कब सच होगा। कोई नहीं मुद्दा है मर गया तो आगे क्या होगा।
नेता लोग आमतौर पर खुद का मजाक उड़ाया जाना पसंद तो नहीं करते पर बड़ी संख्या में आम लोग उन की कमियों पर हंसहंस कर लोटपोट होते रहते हैं। चुटकुलेबाजों का कहना है कि हंसने पर कोई रोकटोक नहीं है। हंसने के लिए कोई कानून भी नहीं है, हंसने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। ठीक है न नेता जी अबकी बार वादा करने से पहले सौ बार सोच लीजिए क्योंकि पिटाई कब, कहां, कौन और कैसे कर दे कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसा हम नहीं आपने ही हमे समझाया है।