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बुरा न मानो होली है: नेताजी की होली में समर्थक बेचारा सेल्फी का मारा...!

ललित फुलारा, नई दिल्ली Published by: गौरव शुक्ला Updated Fri, 22 Mar 2019 09:37 AM IST
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- फोटो : amarujala.com
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नेताओं की होली में चेलों व कार्यकर्ताओं की बड़ी भूमिका होती है। नेताओं के गालों को रंगने के लिए चेले लालायित रहते हैं। नेताजी के गालों पर अबीर-गुलाल लगाने का मौका मिल गया तो समझो साक्षात ईश्वर का आर्शीवाद मिल गया! मन्नत पूरी हो गई! और नेताजी का पूरा ध्यान होली के बहाने मतदाताओं को साधने में जुटा रहता है। दरबारी कहते हैं- नेतीजी की होली होती ही इसलिए है।


हर कार्यकर्ता के दिल में नेताजी के रंग लगे गालों के साथ सेल्फी लेने की चाह होती है। फोटो खिंचवाने की ख्वाहिश, ताकि रंग में रंगे नेताजी, समर्थकों के साथ सोशल मीडिया पर मुस्करा सके और कार्यकर्ता फोटो डालकर जता सकें कि वह नेताजी के कितने करीबी हैं।

नेताजी की होली में स्टाफ बेचारा!
नेताजी की होली में उनका बेचारा स्टाफ हुड़दंगी कार्यकर्ताओं की आवोभगत में लगा रहता है...। सबके लिए सामने- गुजिया, कोल्ड ड्रिक, पापड़ और पकौड़ों का विशेष इंतजाम। कोने में होती है भांग जिसे पीने वाले को ज्यादा ही डेकोरम मैंटेंन करना पड़ता है। हर कोई नेताजी का ख़ास होता है...बेचारे स्टाफ का माई बाप होता है। 

नेताजी शालीनता के मारे, न नाच सके, न ठुमका मारे! 
पूरा माहौल ही हुल्लड़पन वाला!
रंगों से सरोबार। और नेताजी बेचारे शालीनता के मारे। न नाच सके, न ठुमका मारे।
किसी कार्यकर्ता को गाल देने से मना भी नहीं कर सकते..वोटर है भई.. नाराज हो गया तो नेताजी की आफत। अब नेताजी, लालू तो है नहीं जो कुर्ताफाड़ होली खेल सकें। ढोल के साथ ठुमका लगा सकें..

दरबारी ऊवाच- नेताओं की होली में महिला कार्यकर्ताओं की भी भरमार होती है। होली के गीत चलते हैं, जमकर नाच गाना होता है लेकिन नेताजी ठुमका नहीं लगा सकते। अगर किसी नेता ने ठुमका लगा लिया तो अगले दिन अखबार के पन्ने पर नेताजी छपे होते हैं। नेताओं की होली परिवार से ज्यादा समर्थकों के बीच मनती है। सुबह से शाम तक बस मुस्कराना होता है...कार्यकर्ताओं से गले मिलना और रंग पुतवाना होता है।

नेताजी को गुस्सा भी आए तो भी चेहरा हंसने-मुस्कराने वाला बनाना होता है।कैसी भी आफत हो, नेताजी को मुस्कारते हुए गाल आगे करने ही पड़ते हैं और सेल्फी के सामने हंसना ही पड़ता है। नेताजी की होली होती बड़ी रंगीन है, उस दिन हर आम कार्यकर्ता को भी खुद के खास होने और नेताजी के करीबी होने का सुख महसूस होता है।
 
बुरा न मानो होली है। खबरीलाल ऊवाच.. रंग-बिरंगी होली में सभी नेताओं के रंग उड़े हुए हैं! नींद गायब है। भयानक सपने आ रहे हैं। चुनाव जो नजदीक हैं।

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