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सफर में लुटने की कर लो तैयारी, ट्रेन में शुरू हुई लूटपाट की ठेकेदारी

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Thu, 08 Aug 2019 02:54 PM IST
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प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया
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ट्रेन में आपने कई तरह के ठेके सुने होंगे। सफाई का ठेका, पार्किंग का ठेका, खाने का ठेका आदि, लेकिन अब एक नया और गैर आधिकारिक ठेका ट्रेन के लिए ईजाद हुआ है जिसके लिए शातिर चोर-उचक्के अपना नाम भी दर्ज करवा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हाल-फिलहाल में लोगों के सामने आए एक नायाब ठेके के बारे में जो कि लूटपाट से जुड़ा है। इस ठेके से आपको परेशानी तो हो सकती है लेकिन उन बदमाशों की तो चांदी हो रही है जिन्हें ये ठेका मिला है।  
 
चलती ट्रेनों में ठेके पर लूटपाट कराई जा रही है। 18 बदमाशों का एक ऐसा गिरोह प्रकाश में आया है, जो आगरा से दिल्ली और मथुरा से कोटा रूट पर वारदातों को अंजाम दे रहा है। बाकायदा रेट फिक्स कर रखे हैं,चेन छीनने पर 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। छिने पर्स में मिलने वाली रकम में से चालीस फीसदी बदमाश का हिस्सा होता है बाकी सरगना का। एक यात्री से लूट का अलग पैसा तय है जबकि दो से लूट करने का अलग। खास बात यह है कि इस गिरोह के बदमाश प्लेटफार्म पर मालदार पैसेंजरों की तलाश में लग जाते हैं। वहीं से टारगेट तय हो जाता है।
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ट्रेनों में लूट, चोरी और छिनैती की वारदातों ने दहशत फैला रखी है। आगरा से दिल्ली तक एक माह के भीतर 854 वारदातें हुईं हैं। यह आंकड़ा केवल जुलाई माह का ही है। अकेले मथुरा में ही 289 घटनाएं दर्ज की गईं हैं। जबकि तमाम मामले तो पुलिस रिकार्ड में आए ही नहीं हैं। इतना ही नहीं अगर घटना के दौरान गिरफ्तारी हो जाती है तो जमानत का भी ठेका लिया जाता है। परिवार वालों को भी पैसा भेजा जाता है। इस गिरोह में कुछ महिलाएं भी हैं। यह लोग निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाते हैं। वहां से ऐसे पैसेंजर की तलाश में लग जाते हैं जिनके पास मोटा माल मिल सके। 
प्लेटफार्म पर ही शिकार तय कर लिया जाता है। यहीं से बदमाश उस कोच में पहुंच जाते हैं जहां से पैसेंजर चढ़ते हैं। इस गिरोह का सरगना प्रदीप और सतीश गुर्जर हैं। इन लोगों ने फुर्तीले लड़कों को भी गिरोह में शामिल कर रखा है। इस गिरोह के बदमाश चलती ट्रेनों में सवार होने और छलांग लगाने में माहिर हैं। पचास से साठ की रफ्तार वाली ट्रेन से भी कूद जाते हैं। गिरफ्तार बदमाशों ने बताया कि शुरुआत में एक दो बार चोट लगी लेकिन अब कुछ पता नहीं चलता। उनके कभी चोट नहीं लगी। आमतौर पर आउटर के आसपास ही वह लोग ट्रेन से कूदते हैं।
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