Home Omg Six Labrador Dogs Will Be Killed In Swedish Lab Experiment

इंसानों के लिए बिना किसी गुनाह के मार दिए जाएंगे 6 लैब्राडोर कुत्ते, हो रहा विरोध, यह है पूरा मामला 

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: गौरव शुक्ला Updated Fri, 22 Feb 2019 01:07 PM IST
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six labrador dogs will be killed in swedish lab experiment
- फोटो : unilad.co.uk
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कुत्ता को इंसान का सबसे वफादार जानवर माना जाता है। ये वफादार कुत्ता अपने मालिक के लिए जान दे भी सकता है और जान ले भी सकता है। अब इसकी वफादारी का इनाम इन्हें मारकर दिया जा रहा है। सुनने में भले ही ये अटपटा लगे लेकिन ये सच है। 

स्वीडिश प्रयोगशाला में छह लैब्राडोर डॉग को मारने की योजना बनाई जा रही है। इस महीने के आखिर तक इन्हें मार दिया जाएगा। ये खबर सुनकर आपके मन में सवाल उठेगा कि आखिर इन बेजुबानों को क्यों मारा जा रहा है? 

दरअसल, यहां पर इन छह बेजुबानों को इंसानों की खातिर खत्म करने की योजना बनाई जा रही है। योजना के मुताबिक, इन छह लैब्राडोर डॉग को स्वीडिश प्रयोगशाला में मारा जाएगा। आपको बता दें कि स्वीडिश प्रयोगशाला में डेंटल प्रत्यारोपण (डेंटल इंप्लांट टेस्टिंग) के मेडिकल ट्रायल के लिए छह लैब्राडोर डॉग को खत्म करने की योजना है।

स्वीडिश मीडिया के मुताबिक, इन कुत्तों के नाम हैं- वीनस, मिलिया, मिमोसा, लूना, लोटस और जुरी हैं। इनकी उम्र करीब दो साल की बताई गई है। इन बेजुबान जानवरों को गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में मारा जाएगा ताकि शोधकर्ता परीक्षण कर सकें कि प्रत्यारोपण किस तरह हड्डियों और ऊतकों को बदलता है। परीक्षण के हिस्से के तौर पर हर लैब्राडोर कुत्ते के एक तिहाई दांतों को पूरी तरह से हटा दिया गया है ताकि डेंटल इंप्लांट किया जा सके।

बताया जा रहा है कि यदि ये परीक्षण इन बेजुबानों के ऊपर सही रहे तो इन्हें बाद में इंसानों पर आजमाया जाएगा। हालांकि आपको यहां पर ये भी बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब इंसानों की खातिर जानवरों को परीक्षण के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हो।

ऐसा भी नहीं कि जानवरों को इसके लिए मारा जा रहा हो। वर्षों से ऐसा होता आया है। लेकिन अब कुत्तों पर की जा रही इस क्रूरता को लेकर स्वीडिश मीडिया में कई खबरें छाई हुई हैं। डेंटल टेस्ट के लिए इन कुत्तों को इसलिए चुना गया है क्योंकि इनके थूक और ओरल बैक्टीरिया काफी हद तक इंसानों से मेल खाते हैं। इससे सटीक परीक्षण करना आसान होगा।

इन कुत्तों पर शोधकर्ता इस बात का शोध करेंगे कि प्रत्यारोपण किस तरह हड्डियों और ऊतकों को बदलता है। परीक्षण के हिस्से के तौर पर हर लैब्राडोर कुत्ते के एक तिहाई दांतों को पूरी तरह से हटा दिया गया है ताकि डेंटल इंप्लांट किया जा सके।

शोध से जुड़े डिप्टी वाइस चांसलर गोरान लैंडबर्ग का कहना है कि इन मुद्दों पर आम सहमति तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। नई दवा बनाने, उपचार की पद्धति विकसित करने और उसकी मूलभूत जानकारी हासिल करने के लिए कुछ शोध में जानवरों पर परीक्षण करने की जरूरत होती है।

स्वीडिश कानून के तहत जानवरों पर परीक्षण की अनुमति तभी मिलती है जब शोधकर्ता यह साबित कर दें कि जानकारी हासिल करने का यह एकमात्र तरीका है। हालांकि, विश्वविद्यालय ने इसके लिए अनुमति ले ली है और कहा है कि कुशल शोधकर्ताओं की टीम रिसर्च को अंजाम देगी। टेस्टिंग के हिस्से के तौर पर हर लैब्राडोर डॉग के एक तिहाई दांतों को पूरी तरह हटा दिया गया है। 

वहीं एनिमल राइट्स एलायंस ने अपनी जांच में आरोप लगाया कि 'वीनस' डॉग की कोहनी पर इलाज किया जा रहा है। यह भी कहा गया है कि कुत्ते को बिल्कुल ठंडे कमरे में रखा गया। बता दें कि डेंटल टेस्ट के लिए इन कुत्तों को इसलिए चुना गया था क्योंकि इनके थूक और ओरल बैक्टीरिया काफी हद तक इंसानों से मेल खाते हैं। इससे सटीक परीक्षण करना आसान होगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक वेटेनरी डॉक्टर मार्क कोलिंस ने आरोप लगाया है कि कुत्तों के ऊपर कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं और उन्हें काफी दर्द से गुजरना पड़ रहा है। मार्क का आरोप है कि दांतों के इंप्लांट के अलावा उनके शरीर के बाकी हिस्सों पर भी सर्जरी की जा रही है। मार्क ने कहा कि कुत्तों के दांत निकालने में काफी ताकत लगानी पड़ती है और जिस तरह से इन कुत्तों के दांत निकाले गए हैं उससे ये कुत्ते भावनात्मक तौर पर पूरी तरह से टूट चुके हैं।

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