1947 में देश को आजादी तो मिल गई थी लेकिन लोगों ने इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकाई थी। देश के दो बंटवारे हो गए एक हिंदुस्तान और दूसरा पाकिस्तान। लोगों के बसे बसाए घर, काम धंधे सब उजड़ गए, कई लोगों के परिवार एक दूसरे से बिछड़ गए। बंटवारे के बाद कई ऐसे परिवार थे जिनका कोई न कोई अपना उनसे बिछड़ गया था। बंटवारे के कारण पैदा हुए हालातों ने खूब तबाही मचाई थी। लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे। लोगों के बसे बसाए घरों को उजाड़ दिया गया, बीवी-बच्चों की हत्या कर दी गई। भूख, प्यास से बिलखते लोगों को जहां जगह मिली अपना घर बार वहीं बना लिया। जैसे-जैसे समय बीता बिछड़े लोग एक दूसरे से मिलने लगे। एक ऐसा ही किस्सा अभी हाल ही में सामने आया जब बंटवारे में बिछड़े दो भाई पूरे 74 साल बाद मिले। ये दोनों भाई भी बंटवारे के समय बिछड़ गए थे और एक भाई हिंदुस्तान में तो एक भाई पाकिस्तान में चले गए थे। दोबारा अब ये भाई करतारपुर कॉरिडोर में मिले जो पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत से जोड़ता है।
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कहानी भावुक करने वाली है
आज भी लोग अपनों की तलाश में है, लेकिन कोई मिल पाता है और कोई बस इंतजार करता है। मगर, करतार साहिब के बनने से इन भाइयों का इंतजार खत्म हुआ और दोनों जब मिले तो माहौल काफी भावुक हो गया था। जब दोनों भाई मिले तो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाए और एक दूसरे को गले लगाकर खूब रोए। अपनी पुरानी यादों को याद करके खुश हुए और बंटवारे को लेकर भी यादें साझा की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के फैसलाबाद के रहने वाले मोहम्मद सिद्दीकी ने हिंदुस्तान में पंजाब के फूलनवाल में रहने वाले अपने बड़े भाई हबीब से 74 साल बाद मुलाकात की। इन दोनों की मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में हुई। बंटवारे के समय मोहम्मद सिद्दीकी छोटे बच्चे थे जब वो अपने परिवार से बिछड़ गए। मोहम्मद सिद्दीकी पाकिस्तान में ही रह गए और उनके बड़े भाई हबीब हिंदुस्तान आ गए। हबीब ने करतारपुर कॉरिडोर की पहल की तारीफ में की। उन्होंने कहा कि आज इस कॉरिडोर की वजह से ही वो अपने बिछड़े भाई से मिल पाए।
भारत-पाक सरकारों को दिया धन्यवाद
दोनों भाइयों ने करतारपुर कॉरिडोर के जरिए भारत से पाकिस्तान के लिए वीजा-मुक्त यात्रा खोलने के लिए दोनों देशों की सरकार को धन्यवाद दिया। करतारपुर कॉरिडोर भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक साहिब गुरुद्वारे को पाकिस्तान के दरबार साहिब गुरुद्वारे को जोड़ता है। इस कॉरिडोर को 2019 में शुरू किया गया था।
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पाकिस्तान के फैसलाबाद के रहने वाले मोहम्मद सिद्दीकी ने हिंदुस्तान में पंजाब के फूलनवाल में रहने वाले अपने बड़े भाई हबीब से 74 साल बाद मुलाकात की। इन दोनों की मुलाकात करतारपुर कॉरिडोर में हुई।