पानी पर तैरतीं सैकड़ों लाशें। टूटकर सड़क पर बिखरे पेड़। और जान बचाने की कोशिश में इधर-उधर भागते लोग।ज्यादातर तूफान अपने पीछे कुछ ऐसी ही तस्वीरें छोड़ जाते हैं लेकिन दक्षिण अफ्रीका के तीन देशों में आया ईडाय तूफान अपने पीछे एक ऐसी तस्वीर छोड़ गया जो शायद पहले कभी नहीं देखी गई थी।ईडाय तूफान से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक मोजाम्बिक में एक महिला ने आम के पेड़ पर बच्ची को जन्म दिया। सेंट्रल मोजाम्बिक में बाढ़ के कहर से बचने के लिए यह महिला आम के पेड़ पर चढ़ गई और उसने वहीं बच्ची को जन्म दिया।
अमेलिया सिंगल मदर हैं। उनका एक बेटा भी है। बाढ़ से बचने के लिए वो आम के पेड़ पर चढ़ गई थीं। उनके साथ उनका बेटा भी था, तभी कुछ देर बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। दो दिन बाद इस परिवार को उनके पड़ोसियों ने वहां से सुरक्षित निकाला। दक्षिण अफ्रीका में आया ईडाय तूफान अभी तक सात सौ से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब किसी महिला ने पेड़ पर बच्चे को जन्म दिया है। अब से लगभग 20 साल पहले भी जब दक्षिणी मोजाम्बिक में तूफान आया था तो रोसिता माबूइयांगो नाम के बच्चे का जन्म हुआ था। इसे 'मिरिकल बेबी' नाम दिया गया था।
अमेलिया ने यूनिसेफ से बात करते हुए कहा "मैं अपने दो साल के बेटे के साथ अपने घर पर थी और तभी बिना किसी पूर्व चेतावनी के पानी हमारे घर के भीतर घुसने लगा।" "मेरे पास कोई विकल्प नहीं था सिवाय इसके कि मैं पेड़ पर चढ़ जाऊं। मैं मेरे छोटे से बेटे के साथ बिल्कुल अकेली थी।" अब अमेलिया अपने दोनों बच्चों के साथ दोम्बे के पास एक अस्थायी घर में रह रही हैं। सूचना के अनुसार दोनों बच्चे और अमेलिया पूरी तरह स्वस्थ हैं। मिरिकल बेबी' रोसिता माबूइयांगो आज 19 साल की युवती हैं। जिस वक्त उनका जन्म हुआ था और एक हेलीकॉप्टर ने उन्हें खोजकर सुरक्षित निकाला था, ये खबर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गई थी।
लेकिन बीबीसी को दिये एक साक्षात्कार में रोसिता ने कहा कि सरकार ने उन्हें स्कॉलरशिप का वादा किया था, इसके अलावा अपने ख़र्च पर अमरीका भेजने का भी वादा किया था लेकिन उसमें से कुछ भी पूरा नहीं हुआ। वो कहती हैं "मेरी पढ़ाई का सारा खर्च सिर्फ और सिर्फ मेरी मां ने उठाया। मुझे सरकार से कुछ भी नहीं मिला।" हालांकि वे ये जरूर मानती हैं कि सरकार ने उन्हें एक घर जरूर बनवाकर दिया लेकिन अब उसकी हालत ठीक नहीं है। वो कहती हैं कि जब भी बारिश होती है घर की छत टपकने लगती है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार कम से कम इस मामले में उनकी मदद जरूर करेगी।