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लेखपाल को नहीं मिली टेबल के नीचे से फीस, एक झटके में महिला को बना दिया गरीब से रईस

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Fri, 02 Aug 2019 08:08 PM IST
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प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर - फोटो : social media
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बाबा नागार्जुन की प्रसिद्ध कविता है, ‘लोकतंत्र के मुंह पर ताला, बैठ गया है अफसर आला, पगलों से पड़ता था पाला, कहीं दाल में पानी पानी, कहीं दाल में काला काला’। इस कविता को बार बार दफनाने की कोशिश होती है लेकिन इसमें इतनी खरी सच्चाई की ताकत है कि जीवित रहती है। 
 

इसी कविता को चरितार्थ करता एक मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश के फैजाबाद शहर में एक विधवा महिला को लेखपाल ने सरकारी कागजों पर करोड़पति बना दिया गया क्योंकि उसने लेखपाल को घूस की रकम देने से मना कर दिया था।
बताया जा है कि विधवा अपने बेटे को छात्रवृत्ति दिलाना चाहती थी। जिसके लिए महिला को आय प्रमाणपत्र की जरूरत थी। इसी संदर्भ में तहसील पहुंची, लेखपाल से उसने आय प्रमाणपत्र जारी करने को कहा लेकिन लेखपाल साहब ऐसे ही थो़ड़े न मानने वाले थे। उन्हें चाहिए थी थोड़ी दान-दक्षिणा, यानी आम भाषा में कहें तो उन्हें चाहिए थी घूस।
महिला भी लेकिन अपने उसूलों की पक्की निकली, लेखपाल को तुरंत घूस देने से मना कर दिया। लेखपाल साहब ने भी बदले की आग में आंव देखा न तांव सीधा महिला को करोड़पति बना दिया। अब आप कहेंगे कि करोड़पति बनने में क्या बुराई है?
दरअसल, तारादेवी की माली हालत ठीक नहीं है, खेती कर वो अपने परिवार का गुजारा चलाती हैें। अपने बेटे की आगे की पढ़ाई को जारी रखने के लिए उन्हें उनके आयप्रमाण पत्र की जरूरत थी। जिसमें वो यह दिखा सकें कि वो अपने बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ हैं लिहाजा बेटे को छात्रवृत्ति देकर उसकी पढ़ाई में मदद की जाए।
महिला जब इसी गुहार के साथ बीकापुर तहसील के लेखपाल के पास पहुुंची तो यहां उनके साथ उलट ही हो गया। उन्हें आय प्रमाणपत्र में असमर्थ दिखाने की बजाय उन्हें इतना समर्थ दिखा दिया गया कि वो 10 बच्चों की पढ़ाई करवा दें। जी हां, तहसील से जारी आय प्रमाणपत्र में उनकी आय पांच करोड़ 20 लाख रुपये सालाना लिख दी गई। जिस वजह से उनका बेटा छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भी नहीं कर सका। आवेदन की अंतिम तारीख 30 जुलाई थी।
इसके बाद शुरू हुई इंसाफ की लड़ाई। शिकायत करने के लिए भी महिला को काफी मेहनत करनी पड़ी, सुनवाई न होने पर उन्होंने सीएम के शिकायती पोर्टल अपनी शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें लेखपाल पर रिश्वत मांगने का आरोप भी लगाया।मामला उजागर होने के बाद से तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया। हालांकि लेखपाल पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। तारादेवी का आरोप है कि आवेदन पर रिपोर्ट लगाने के लिए लेखपाल धीरेंद्र प्रताप यादव ने उनसे रिश्वत की मांग की। रिश्वत नहीं मिलने पर लेखपाल ने मनमानी रिपोर्ट लगाई।
आय प्रमाणपत्र संख्या 475191013603 में मासिक आय 43 लाख 33 हजार 766 रुपये 67 पैसे व वार्षिक आय पांच करोड़ 20 लाख पांच हजार दो सौ रुपये बताई गई है, जबकि हकीकत यह है कि तारादेवी खेती कर अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं। इस मामले में एसडीएम बीकापुर लवकुमार सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है, तहसीलदार से इसकी पड़ताल कराई जाएगी।
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