यहां महिलाएं कोख में पालतीं हैं अजनबियों के बच्चे
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by:
Pankhuri Singh
Updated Sat, 09 Feb 2019 06:02 PM IST
उन्हें गर्भावस्था के दौरान गंभीर बीमारियों के कारण दो बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। महीनों तक उन्हें रोजाना हार्मोन के इंजेक्शन पड़ते रहे। इससे पहले चार बार उनका गर्भपात हो चुका था। ये सब कुछ उन्होंने एक नवजात के लिए झेला, जो उनकी अपनी बच्ची भी नहीं थी।
32 वर्षीय मारिसा कनाडा की एक सरोगेट या प्रतिनिधि मां हैं, जहां उनके जैसी सैकड़ों महिलाएं उन बच्चों को स्वेच्छा से जन्म देती हैं, जिनसे वो आनुवंशिक रूप से नहीं जुड़ी होतीं। मारिसा ने कहा, मैंने परिवार बनाया है, किसी और का परिवार!" बच्ची के स्पेन निवासी माता-पिता एक ही लिंग के हैं। भविष्य की सोच रखने वाले इस देश में ये प्रचलन तेजी से बढ़ा है। कुछ लोगों का अनुमान है कि इस क्षेत्र में पिछले एक दशक में 400 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
यहां प्रतिनिधि मां बनना 'परोपकार' है। दूसरों के बच्चों को जन्म देनेवाली मां को इससे आमदनी नहीं होती। थाईलैंड, नेपाल, मेक्सिको और भारत - सभी ने वाणिज्यिक रूप से विदेशी मामलों में प्रतिनिधि मां बनने पर हाल ही में प्रतिबंध लगाया है। फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन जैसे कई देशों ने सभी रूपों में प्रतिनिधि मां बनने पर प्रतिबंध लगाया है।
यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, डेनमार्क और बेल्जियम जैसे देशों में सरोगोसी की तभी इजाज़त मिलती है, जब प्रतिनिधि मां को कोई शुल्क नहीं दिया जाता, या मामूली खर्चों के लिए शुल्क दिया जाता है।
जॉर्जिया, रूस, यूक्रेन और संयुक्त राज्य के कुछ प्रांतों में वाणिज्यिक सरोगेसी की इजाजत है।कनाडा इकलौता देश नहीं है, जहां सरोगेसी की परम्परा है, यूके जैसी जगहों पर भी सरोगेसी मौजूद है।लेकिन कनाडा में अधिकतर प्रांतों के कानून दम्पति के लिए प्रतिनिधि मां द्वारा माता-पिता बनने की प्रक्रिया आसान कर देते हैं।
इसके अलावा कनाडा में एक ही लिंग के माता-पिता और इकलौते माता-पिता के लिए भी परिवार बनाने का विकल्प मौजूद है, जो कई देशों में नहीं है। कई लोगों के लिए परोपकार के रूप में सरोगेसी नैतिक है। ये उन देशों की तुलना में सस्ता भी है, जहां वाणिज्यिक रूप से सरोगेसी होती है।
मारिसा कहती हैं, 'मैंने अमेरिका में कई प्रतिनिधि माताओं को देखा है, जिन्हें गर्भवती होने के लिए हजारों डॉलर मिलते हैं, लेकिन कनाडा में हम ऐसा नहीं करते।' यहां प्रतिनिधि माताओं को सिर्फ गर्भावस्था से जुड़े खर्चों के लिए धन मिलता है, जैसे, प्रसवपूर्व विटामिन्स, मातृत्व के कपड़े, किराने के सामान, चिकित्सकीय सलाह के लिए यात्रा खर्च और चिकित्सा कारणों से खोनेवाला वेतन। उन्हें ऐसे हर खर्च की रसीद भी देनी होती है।
अन्य महिला की कोख का सहारा लेकर किसी दंपति के माता-पिता बनने की परंपरा पुरानी है। लेकिन आधुनिक तकनीक ने इसे पूरी तरह नया आयाम दिया है।कनाडा के सेरोगेट गर्भ वाहक होती हैं। इसका मतलब है कि उनकी कोख में पलने वाला भ्रूण प्रयोगशाला में किसी और के अण्डाणु से तैयार किया गया है, उनके अण्डाणु से नहीं।कनाडा के मीडिया के आकलन के मुताबिक वहां कम से कम 900 सक्रिय सरोगेट्स हैं।
'ग्यारह साल पहले, जब हमने कंपनी की शुरुआत की थी, तो एक साल में आठ (सरोगेट) शिशुओं का जन्म हुआ। अब सिर्फ पिछले महीने हमारे यहां 30 बच्चों का जन्म हुआ है।" ये कहना है कनाडा की सबसे बड़ी सरोगेसी एजेंसियों में एक, कनाडा फर्टिलिटी कंसल्टेंसी की संस्थापिका लिया स्वानबर्ग का।'
खुद एक सरोगेट रहीं स्वानबर्ग सरोगेट स्वयंसेवक तैयार करती हैं, जिनकी चिकित्सकीय और मनोवैज्ञानिक जांच होती है, और जिनके लिए कम से कम एक अपना बच्चा होना अनिवार्य है। स्वानबर्ग बच्चे की चाहत रखने वाले दुनिया भर के माता-पिताओं से उनका मेल कराने में मदद करती हैं।
'मैं बच्चों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती।' पांच बच्चों की मां जेनेट कहती हैं। 'मैं सोचती हूं कि ये दुनिया को रोशन करने जैसा काम है, मैं इन भले लोगों के लिए बच्चे जन रही हूं, लेकिन साथ ही एक इतिहास भी बना रही हूं' मारिसा का कहना है।
दुनिया भर में कई आलोचक हैं, जो सरोगेसी को नियंत्रित या यहां तक कि प्रतिबंधित करना चाहते हैं। नारीवाद समर्थक कुछ लोगों का समूह इसे महिलाओं के शरीर के शोषण का एक प्रकार मानता है।'मेरे ख्याल से सरोगेसी की तुलना वेश्यावृत्ति से करना सही होगा, क्योंकि दोनों में ही शरीर का शोषण होता है, उसे बेचा जाता है।' ये यूनीवर्सिटी ऑफ वाटरलू की अकादमिक केटी फुल्फर का कहना है, जिन्होंने सरोगेसी पर शोध किया है।
"कनाडा में सरोगेसी का वाणिज्यीकरण नहीं है। इसका मतलब ये नहीं कि शोषण नहीं है। महिलाओं को धन नहीं देना चिन्ताजनक है, क्योंकि यहां लाभ के मकसद से जनन क्षमता का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसके लिए अन्य जगहों पर कीमत दी जाती है। फिर यहां सरोगेट को धन क्यों नहीं दिया जाता?" फुल्फर सवाल करती हैं।
परोपकार के मॉडल में सरोगेट को सिर्फ खर्च होनेवाला धन दिया जाता है, जबकि एजेंसियों, डॉक्टरों और फर्टिलिटी क्लिनिक को उनका शुल्क अदा किया जाता है। बच्चा चाहनेवाले माता-पिता के लिए ये काफी कीमती होता है, जिसकी लागत 57,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक आती है।
ये मॉडल काफी नियंत्रित है। कुछ सालों पहले तक एजेंसी की मालकिन लिया स्वानबर्ग इकलौती महिला थीं, जिन्हें कनाडा में सरोगेसी के नियमों के अनुरूप शुल्क देना पड़ा था।उनपर सरोगेट्स को अदा किये गए धन की रसीद न रखने का आरोप था और एजेंसी को जुर्माना किया गया था। फिलहाल इस कानून को बदलने का काफी दबाव है।
कानून तोड़ने पर 378,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना या दस साल कैद की सजा हो सकती है। फिलहाल इस कानून को बदलने का भारी दबाव है।'वास्तव में नियंत्रण में ढील देना और रसीद इकट्ठा न करना अच्छा होगा, लेकिन ये बड़ी बात नहीं है. हम धन के लिए इस काम में नहीं लगे हैं' जेनेट का कहना है।
तो इससे सरोगेट्स को मिलता क्या है? कुछ लोग उन दम्पतियों की मदद करना चाहते हैं, 'जो प्राकृतिक तरह से अपने परिवार का विस्तार नहीं कर सकते." अन्य लोग इसे एक्टिविज्म का हिस्सा मानते हैं, ताकि एलजीबीटी को भी माता-पिता बनने का अधिकार मिले।कई लोग इसे ऊंचे मकसद की पूर्ति की भावना मानते हैं।