विस्तार
हम अभी इतने बड़े और जानकार तो नहीं हुए कि अपनी शिक्षा प्रणाली के बारे में कुछ टिप्पणी कर सकें। हां लेकिन 5-6वी क्लास में ही इस शिक्षा प्रणाली के बारे में इतना समझ गए कि जो बच्चा टॉपर होता है, उसकी याद करने की क्षमता बहुत तेज होती है। हमें इतनी समझ आ चुकी थी कि, टीचर का फेवरेट बनने के लिए पहले टॉपर बनना पड़ता है।
हमनें खुद ग़ौर किया है कि क्लास में रटने की क्षमता को ज़्यादा बढ़ावा दिया जाता है जबकि समझाना और समझना ये चीजें हमारी एजुकेशन सिस्टम से हट जाती हैं। आज भी कई स्कूलों में ये क्रम जारी है। जबकि हमारी कामयाबी में एक बड़ा हाथ स्कूलिंग और प्राथमिक शिक्षा का ही होता है।
ये 10 चीजें जो हमने अपनी स्कूल समय में देखे हैं, जिसे हम आज सोचते हैं तो खून जल जाता है। ऐसा नहीं कि ये चीजें खत्म हो गयी हैं, ये आज भी कायम हैं...
आज भी तमाम कॉलेजों, स्कूलों की यही दशा है कि जितनी ज़्यादा कॉपी भरी है उतने अच्छे मार्क्स हैं। जो एंसर छोटे में और पर्याप्त हैं उससे कोई मतलब नहीं। नम्बर काट लिए जाएंगे।
एक कॉलेज, और एक लाख कॉम्पिटीटर। एडमिशन के लिए मारम-मार।
याद करने की क्रिया को समझने की क्रिया से ज्यादा बेहतर माना जाता है।
जिंदगी ग्रेड सिस्टम के बीच ही उलझ के फंस जाती है।
कॉलेज का इंफ्रास्ट्रक्चर और खाने-पीने के लिए कैंटीन को देखकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि ये कोई स्कूल या कॉलेज है।
आज भी स्कूलों में बस पढ़ाई को बढ़ावा दिया जात है। उसक ेआलावा दूसरी चीजों जैसे सोशल स्किल, स्पोर्ट्स आदि दबा दिया जाता है।
कोटा सिस्टम, इसके बारे में जितना लिखो कम ही है। हर बच्चा इस चीज को झेल रहा है। जहां रिजर्वेशन मिलना चाहिए वहां नहीं मिल पाता।
अगर कोई तगड़ा, गुस्सैल और सख्त मैनेजर हो स्कुल का तो पूरे फ्यूचर पर विराम लगा देता है।
अगर पीजी कर लिया तो रिसर्च का कोई स्कोप नहीं। उसके लिए भी मारा-मारी। फिर सिर पकड़ कर किसी भी कॉलेज से रिसर्च की एक डिग्री पकड़ लो। भले खुद को संतुष्टि मिले या न मिले।
ये समस्या गांव के हर प्राईमरी स्कूल में देखने को मिलेगी। चाट बिछा कर गंदगी में बच्चे पढ़ रहे हैं भी या नहीं, लेकिन टीचर्स का समोसा-चाय वाला रूटीन खत्म नहीं होता। ऐसे स्कूलों में न बैठने लिए बेंच है, न टॉयलेट है, बल्कि कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि बहुत स्टूडेंट्स 10 तक जाते-जाते स्कूल ड्रॉप कर देते हैं।
तो आज भी लगभग 95% स्कूल ऐसे ही हैं। शिक्षा सिस्टम बदले न बदले लेकिन इन चीजों को ज़रूर बदलना होगा।