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एक सनकी लड़के से अपनी बेटी को बचाने में एक बार फिर पिता ने अपनी जान गंवा दी

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Mon, 21 Nov 2016 01:56 PM IST
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एक सनकी ने लड़की के पिता को मार डाला
एक सनकी ने लड़की के पिता को मार डाला - फोटो : mumbaimirror
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एक बच्चा अपनी मां और पापा के हाथों में खुद को सबसे ज़्यादा सुरक्षित महसूस करता है। जन्म से ही वो अपनी मां को उसकी ख़ुशबू से पहचानने लगता है और उसकी गोद में जाकर ही शांत होता है। इस बात को मारुती जेन्युइन पार्ट्स के एक ऐड में बखूबी दिखाया गया था और ये विज्ञापन भी बेहद क्यूट था। मां बाप हमेशा अपने बच्चों का भला चाहते हैं और उनको किसी भी मुसीबत में देख झट से होशियार हो जाते हैं और हर तकलीफ़ का डंट का सामना करते हैं।

हमारे भारतीय समाज में कई जगह लड़की होने को अच्छा नहीं माना जाता, इसके अपने कारण हैं। कारण वो अजीबो-गरीब मान्यताएं हैं जिनकी वजह से कुछ लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ़ ऐसे लोग भी हैं जो लड़का-लड़की में बिल्कुल भेदभाव नहीं करते। जेंडर इन लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखता और ऐसे लोग अपनी लड़कियों का पालन-पोषण बहुत अच्छे से करते हैं और उन्हें एक मज़बूत नागरिक के रूप में तैयार करते हैं जो कि सारे अधिकारों की हक़दार है, अपने कर्त्तव्य निभाती है और इनके लिए किसी भी आम इंसान की तरह लड़ सकती है।

लेकिन इसी समाज में शायद पहली वाली कैटेगरी के लोग अधिक संख्या में हैं। आप ये भी नहीं कह सकते कि ये लोग पढ़े लिखे नहीं हैं बस दिक्कत ये है कि शायद इनके घर में कई पीढ़ियों से यही सिखाया जा रहा है कि लड़कियों की बिल्कुल इज्ज़त नहीं की जानी चाहिए। ये ऐसे घर होते हैं जहां घर की किसी भी महिला सदस्य को सम्मान नहीं दिया जाता और धीरे-धीरे इन महिलाओं को भी इसकी आदत पड़ जाती है। इन्हीं घरों से निकलते हैं वो बिगडै़ल लड़के जो अपने आगे किसी को भी कुछ नहीं समझते और लड़कियां तो उन्हें अपनी गुलाम लगती हैं।

क्योंकि हमारे समाज में स्त्रियों को इज्ज़त के साथ जोड़ दिया गया है, इसलिए ये अपने घर की स्त्रियों पर तो रोक लगाते ही हैं साथ ही किसी अन्य स्त्री को भी कुछ नहीं समझते। असल में ये सब इन पुरुषों ने अपने बाप-दादा से सीखा होता है। इनकी मां भी इन्हें कुछ सही बात नहीं सिखा पाती क्योंकि सालों के बुरे बर्ताव के बाद उनकी सोचने-समझने की शक्ति ख़त्म हो जाती है और उन्हें लगता है कि लड़कियों को हमेशा पुरुषों के संरक्षण में रहना चाहिए।

यही वजह है कि एक महिला मित्र बन जाने पर पुरुष समझते हैं कि समाज में उनकी इज्ज़त बढ़ गई है। और साथ ही प्रस्ताव ठुकराए जाने पर इन्हें बहुत बेईज्ज़ती महसूस होती है और इसके बाद ये लग जाते हैं लड़की को सबक सिखाने की प्रक्रिया में। और इस दौरान ऐसे पुरुष कुछ भी कर सकते हैं क्योंकि उन्हें अपनी सो कॉल्ड इज्ज़त बचानी होती है। यकीन मानिए इज्ज़त शब्द को भले ही महिलाओं के साथ जोड़ा जाता हो लेकिन इसकी सबसे ज़्यादा चिंता पुरुषों को ही होती है। यही कारण है कि इसे उन्होंने महिलाओं के सिर मढ़ दिया है।

वैसे तो भारत में ईव टीज़िन्ग की घटना एक आम बात है और लोग इसे सुनकर हैरान भी नहीं होते। अगर किसी की तरफ़ छोटे-मोटे कमेंट पास किये जाएं तो इसे कोई बड़ी बात नहीं माना जाता क्योंकि लड़कों को लगता है कि ये हक़ वो संविधान से लेकर आये हैं। लेकिन कल एक पिता ने अपने बच्चे की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी।

मामला महाराष्ट्र के रायगढ़ का है जहां एक इंजीनियर एक लड़की के पीछे हाथ धो के पड़ गया था और उसे समझाने गए लड़की के पिता को उस लड़के ने इतना मारा कि उनकी मौत हो गई। यहां भी एक पिता अपने बच्चे की रक्षा करने के लिए आगे बढ़ा था लेकिन संकीर्ण सोच वाले इस लड़के ने उन्हें नहीं छोड़ा।  

अविषेक भट्टाचार्य 25, लिब्या में एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत था। वो पिछले तीन साल से इस लड़की को ऑनलाइन स्टाक कर रहा था। ये कुछ समय तक इस परिवार का पड़ोसी रहा था। 

लिब्या से लौटने के बाद अविषेक ने लड़की का कॉलेज तक पीछा करना शुरू कर दिया। लड़की के पिता सदाशिव कंचन ने अविषेक के माता-पिता से बात करके मामला सुलझाने का प्रयास किया। लेकिन अविषेक पर कोई असर नहीं पड़ा। अंततः शशिदेव ने पुलिस में शिकायत करने का निर्णय लिया लेकिन तभी 14 नवंबर की शाम उन्हें अविषेक दिख गया और वो उससे बात करने गए।

अविषेक ने सदाशिव पर हमला कर दिया और उनके सिर पर इतना मारा कि वो बेहोश हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें होश नहीं आ पाया और अपनी बेटी की 18वें जन्मदिन के एक दिन बाद ही उनकी मौत हो गई।

लड़की का कहना है कि वो इस केस को जारी रखेगी भले ही उसकी मां गहरे सदमे में है। हम बेहद खुश थे और इस लड़के ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। जब उसने मुझे स्टॉक करना शुरू किया तब मैं बालिग़ नहीं थी। मेरे पापा ने मुझे हर तरह से बचाने की कोशिश की और आखिरकार अपनी जान गंवा दी। इस लड़के को अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए।

अविषेक को पोयनाड पुलिस ने बीते शनिवार गिरफ़्तार कर लिया है और सोमवार को उसे कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। 

इसे पढ़कर शायद समझ में आ सकता है कि मां-बाप कई बार अपनी लड़कियों को लेकर इतने इनसेक्योर क्यों होते हैं। कारण उनकी छोटी सोच नहीं बल्कि इस समाज की छोटी सोच है जिसके चलते उनकी बच्चियों के साथ ऐसी अनहोनी घटनाएं घटने का डर रहता है। हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे कि मां-बाप का अपनी लड़कियों को बेवजह रोकना टोकना सही है। लेकिन इसके पीछे छुपी उनकी भावना को समझना भी ज़रूरी है। इस घटना से एक बात तो साफ़ पता चलती है कि ऐसे मामलों में ढील नहीं बरतनी चाहिए और समय रहते पुलिस के पास जाना चाहिए और तब तक जाना चाहिए जब तक पुलिस कोई एक्शन नहीं ले लेती।

वहीं दूसरी तरफ़ लड़कों की मोरल पोलिसिंग किया जाना भी बेहद ज़रूरी है। उन्हें ये बताना होगा कि लड़की का मतलब कमज़ोर नहीं होता।

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