Home Panchayat After Lunch And Selfies With Amit Shah Bengali Couple Joins Trinamool Congress

मजदूर ने खिलाया खाना, अमित शाह खा गए गच्चा, ममता ने मारा चटकारा!

Updated Thu, 04 May 2017 05:18 PM IST
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After Lunch And Selfies With Amit Shah Bengali Couple Joins Trinamool Congress
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'सियासी खिचड़ी' पकानी हो तो 'गरीब मजदूरों की हांडी' से बेहतर साधन क्या हो सकता है! सबसे सस्ता, टिकाऊ और कभी न घिसने वाला। अब खिचड़ी पश्चिम बंगाल में पक रही है। दीदी की 'ममता' दिहाड़ी मजदूरों पर उमड़ रही है। उन पर, जिनकी कुटिया में बीजेपी कमल खिलाने पहुंची थी। कमल तो नहीं खिला, मजदूरों ने बीजेपी के गेम प्लानर, पीएम मोदी के बाए हांथ और पार्टी के संकट मोचक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को खाना जरूर खिला दिया। अब हफ्ते भर बाद शाह को या यूं कहें बीजेपी को अपच हो रही है और चटकारे सीएम ममता बनर्जी मार रही हैं। 

करीब एक हफ्ते पहले पश्चिम बंगाल के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष की अगुवाई में एक दिहाड़ी मजदूर दंपति के यहां लंच का प्रोग्राम हुआ था। केले के पत्ते पर शुद्ध शाकाहारी खाना खाते हुए सेल्फियों का सेशन भी चला और हंसी-ठिठोली भी। गीता और राजू महली की कुटिया मानो कुछ वक्त के लिए राजमहल बन गई थी और साक्षात महाराज उनके बनाए लजीज व्यंजनों का लुल्फ ले रहे थे। बुधवार को खबर आई कि गीता और राजू महली ने 'दीदी' यानी पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली।

बीजेपी इस अपच के पीछे साजिश बता रही है। बीजेपी का आरोप है कि 'दीदी' खेमे ने महली दंपति को किडनैप कर उन पर दबाव बनाया है कि वे बीजेपी वालों को खाना न खिलाएं और न ही कमल खिलाएं। हालांकि कांग्रेस इस बात से इनकार कर रही है। 

गीता और राजू का मसला फिल्म बाहुबली के माहिष्मति सिंहासन जैसा भारी... बोले तो गंभीर हो गया है। ममता बनर्जी और अमित शाह में जंग भल्लाल देव और बाहुबली सरीखी छिड़ी है। दोनों तरफ से सवालों के गोले दागे जा रहे हैं। गीता और राजू के जरिए दोनों ही दिग्गज एक-दूसरे से लोहा ले रहे हैं। 

अब इस प्रकरण में गीता और राजू का क्या रोल हैं, यह तो पता नहीं, लेकिन कल यानी बुधवार को गीता जब गायब हुईं तो सबको लगा कि खेत में मजदूरी करने गई हैं, राजू घरों में पेंट करने गए। दो बच्चे हैं... वे रिश्तेदारों के यहां गए माने गए। लेकिन अचानक खबर आई के अमित शाह को लंच कराने वाली महली दंपति ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली।

जिस रहस्यमयी तरीके से यह प्रकरण प्रकट हुआ उससे बीजेपी आरोप लगा रही है कि ममता ने किडनैप कराकर जबरन महली दंपति से पार्टी ज्वाइन कराई है। 

ममता ने अमित शाह पर तीखा शाब्दिक प्रहार करते हुए एक सभा में कहा, ''वे दलित के घर लंच करते हैं फाइव स्टार होटल में डिनर, हम ऐसी सेल्फियां खिंचाने में विश्वास नहीं करते हैं।''

उन्होंने कहा था कि जो लोग उन्हें चुनौती दे रहे हैं वह उनकी चुनौती स्वीकार करती हैं और जल्द ही दिल्ली पर कब्जा करेंगी। उन्होंने आगे आगे कहा था कि झारखंड, असम में उनकी पार्टी तेजी से आगे बढ़ रही है, बहुत संभावना है कि गुजरात और उत्तर प्रदेश में भी टीएमसी मोर्चा संभालेगी। 

वहीं, अमित शाह ने हाल ही में सिलीगुड़ी में आयोजित एक रैली में कहा था कि टीएमसी पीएम मोदी के विजय रथ को रोक नहीं पाएगी और राज्य में कमल खिलेगा।

ममता की मानें तो अगले लोकसभा चुनाव में उनसे बड़ा प्रतिद्वंदी बीजेपी के सामने कोई दूसरा नहीं होगा।

पश्चिम बंगाल में पिछले दो बार से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं और सूबे की जनता में उनकी छवि तमाम कथित चिटफंड घोटालों के बावजूद एक दमदार नेता की है। वह अकेली ही ऐसी नेता है जिन्होंने सूबे में वाम दल की वर्षों (लगभग 35 वर्ष ) की बादशाहत पर विराम लगाया था। उन्होंने राज्य की दबी-कुचली जनता के मन को छुआ और मां, माटी और मानुष का नारा दिया।  

बीजेपी के लिए राज्य में जमीन तैयार करने में मुश्किल आने की वजह यह भी है कि सूबे में हिंदुत्व जैसे मुद्दों पर धुव्रीकरण आसान नहीं लगता, क्योंकि राज्य की आबादी में मुस्लिमों का एक बड़ा हिस्सा है। 

मोदी के नोटबंदी को लेकर विपक्षी पार्टियां छाती पीट रही थीं तो उनमें ममता बनर्जी खुलकर सामने आई थीं और पीएम मोदी की कड़े शब्दों में आलोचना की थी। 

दिल्ली के जेएनयू के बाद कथित आजादी के नारे पश्चिम बंगाल के कॉलेजों में लगना आम हो चला है। छात्रों में आरएसएस और हिंदूवादी संगठनों के खिलाफ खासा गुस्सा है, जो कि पिछले दिनों सोशल मीडिया पर खूब देखा गया। 

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में वाम दल की जड़ें बहुत गहरी हैं, तृणमूल कांग्रेस अपनी जगह बना चुकी है वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में काग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था, ऐसे में भाजपा के लिए सूबे में आसानी से सत्ता का रास्ता बनता नहीं दिख रहा है।   

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