विस्तार
ट्रंप प्रशासन भी अब मानने लगा है कि पाकिस्तान गद्दार है। गद्दार भी वैसा, जैसा अमेरिका में एक के सिवा दूसरा कोई न हुआ। जनरल बेनेडिक्ट अरनॉल को सबसे बड़ा अमेरिकी गद्दार माना जाता है, अब पाकिस्तान के लिए भी अमेरिकी प्रतिनिधी सभा ऐसे अल्फाजों का इस्तेमाल कर रही है। यानी नवाज शरीफ की शराफत पर सवाल उठ गया है और यह पहली बार नहीं है। मतलब पाकिस्तान न हुआ बिगड़ैंल बच्चा हो गया और बिगड़ैल बच्चे जब प्यार से नहीं मानते तो आप भी जानते हैं कि कैसे मानते हैं। ऊपर से हुकूमत जब 'दादा' ट्रंप के हाथ में हो तो कहने ही क्या!
कुलमिलाकर पहले से अरबों के कर्ज में डूबे पाकिस्तान के लिए खुद को महफूज करने के लिए अब उपाय कम हैं और अगर दादा ट्रंप की सनक गई तो अबकी बार बम सीधे इस्लामाबाद में भी फूट सकता है! लेकिन यहां समझ लें कि मुद्दा क्या है?
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में दो वरिष्ठ सदस्यों ने पाकिस्तान का प्रमुख गैर नाटो साझेदार का दर्जा खत्म करने की मांग करते हुए एक सर्वदलीय विधेयक पेश किया है। उनका कहना है कि पाकिस्तान न केवल आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने में नाकाम रहा है बल्कि इस मामले में उसने अमेरिका के साथ गद्दारी भी की। आर्थिक मदद अमेरिका से ली लेकिन आतंक के खिलाफ सार्थक कार्रवाई नहीं की।
रिपब्लिकन पार्टी के कांग्रेस सदस्य टेड पोए और डेमोक्रेटिक सांसद रिक नोलान की ओर से पेश किए गए विधेयक में पाकिस्तान का गैर नाटो साझेदार का दर्जा खत्म करने का आह्वान किया गया है। पाकिस्तान को यह दर्जा 2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश द्वारा दिया गया था ताकि अल-कायदा और तालिबान के खिलाफ अमेरिकी अभियान में इस्लामाबाद की मदद मिल सके।
सदन की विदेश मामले की समिति के सदस्य और आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और व्यापार मामले की उप समिति के प्रमुख पोए ने कहा, ‘पाकिस्तान के हाथ में अमेरिकी खून लगा है और इसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘वर्षों से पाकिस्तान ने ‘बेनेडिक्ट अरनॉल्ड’ के तौर पर काम किया है। ओसामा बिन लादेन को पनाह देने से लेकर तालिबान का सहयोग करने तक, पाकिस्तान ने उन आतंकवादियों पर सार्थक ढंग से कार्रवाई करने से इनकार किया है जो विरोधी विचारधाराओं को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं।’
‘बेनेडिक्ट अरनॉल्ड’ अमेरिका में घृणा और गद्दारी के पात्र के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। बेनेडिक्ट अरनॉल्ड अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान एक जनरल था जो मूल रूप से अमेरिकी महाद्वीप की सेना से लड़ा, लेकिन बाद में ब्रिटिश सेना में शामिल हो गया।
पोए ने कहा कहा कि पाकिस्तान को अत्याधुनिक हथियारों को हासिल करने की योग्यता प्रदान करना अमेरिका की ओर से बंद करना चाहिए। गैर नाटो साझेदार का दर्जा रखने वाला देश रक्षा सामग्री की प्राथमिकता पर आपूर्ति, हथियारों की बिक्री की त्वरित प्रक्रिया और अमेरिकी कर्ज गारंटी का हकदार होता है।
नोलान ने कहा कि बार-बार पाकिस्तान ने अमेरिका के सद्भाव का लाभ तो उठाया लेकिन वह अमेरिका का दोस्त नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सच यह है कि पिछले 15 सालों में हमने पाकिस्तान को अरबों डॉलर भेजे, लेकिन उसने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और हमें ज्यादा सुरक्षित बनाने में कुछ नहीं किया।’ नोलान ने कहा कि इस कानून से अमेरिकी करदाताओं के पैसों की सुरक्षा होगी। अमेरिका और दुनिया महफूज हो सकेंगे।
अब देखना दिलचस्प होगा कि दादा ट्रंप की ओर से पाकिस्तान को लेकर अंतिम फैसला क्या होगा? मजे की बात यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ इस कार्रवाई की मांग पीएम मोदी की होने वाली अमेरिकी यात्रा से ठीक पहले उठी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी मोदी भक्त माने जाते हैं और भारत अर्से पाक समर्थित आतंकवाद पर दुनिया भर का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा है। अब देखना यह भी दिलचस्प होगा कि मोदी-ट्रंप की दोस्ती पाकिस्तान के लिए कैसी साबित होगी?