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सारी बातें छोड़ो पहले ये बताओ कितने लोग खुश हो इस ख़बर से? अरे हमें पता है कि केजरीवाल के कहने भर से काम नहीं हो जाता है। वैसे भी अरविंद केजरीवाल जो कह दें उसे लागू करवाने में उन्हें काफी मुश्किल होती है। तभी तो सर जी ने कहा - वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे।
फिर भी अगर ये काम हो ही जाए तो खुशी मिलेगी या नहीं। चलो भैया पूरी बात बताते हैं। हमारे देश की एक राजधानी है - दिल्ली, बड़ी अनोखी जगह है। यहां के मुख्य मंत्री हैं - अरविंद केजरीवाल, बड़े आम आदमी टाइप हैं। तो इस आम आदमी ने वो किया जो नितीश कुमार ने नहीं किया। बिहार में शराब पर पाबंदी लगा दी गई है। पाबंदी मतलब अब वहां शराब नहीं अलाउड है। अब आपको इतना तो पता ही होगा कि जो चीज़ें न अलाउड हों उनका आनंद लेने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। अभी हाल ही में नेताजी ने कहा भी था कि बिहार में शराब-बंदी रहेगी, जिसे पीना हो वो बाहर जा सकता है।
इधर अरविंद ने न्यौता भेज दिया, हमारे यहां चले आओ। अरे, हम भी न! बहुत घुमा-घुमा कर बात करते हैं। आपके दिमाग का दही हो गया होगा। दरअसल हुआ ये है कि केजरीवाल ने एक प्रस्ताव रखा है जिसमें उन्होंने ये कहा है कि दिल्ली में सिर्फ़ 3 ड्राइ डे हों। अभी 14-16 ड्राइ डे होते हैं, अलग-अलग अवसरों और त्यौहारों पर। केजरीवाल चाहते हैं कि सिर्फ़ तीन राष्ट्रीय पर्वों के अलावा कोई ड्राइ डे न हो। अरे जो लोग नहीं पीते हैं वो नहीं समझेंगे भाई, पर सरकार का भी तो घाटा होता है न! आपको पता ही है कि जनता उसी में सबसे ज्यादा पैसे फूंकती है जिसकी मनाही हो। तो 20 ड्राइ डे से सरकार, टैक्स, रेवेन्यू सबका घाटा ही तो होता है न!
केजरीवाल ने ये भी कहा है कि पीने वालों की उम्र सीमा भी कम करो। आपके लिए कुछ कम न हो रहा, ये फ़रमान विदेशियों के लिए है। तो ये थी आपके काम की बात, अब एक और बात सुन लो, पहले ही खुश होने लगते हो।
पब और क्लब की लाइसेंस फी बढ़ाई जा रही है। प्राइवेट पार्टी में एल्कोहल सर्व करने की परमिट फीस भी बढ़ेगी। और ये सब वसूला जाएगा आपसे। मतलब अब बात ये है कि अगर 24x7 दारू चाहिए तो गुड़गांव.. सॉरी! गुरुग्राम तो नहीं जाना पड़ेगा पर पैसे में आग लगानी होगी।
एक और बात है, वो भी आपके लिए नहीं है.. पर बात ये है कि जो रेस्टोरेंट शराब सर्व करते हैं वो अब चाहें तो किसी भी नज़दीकी थोक विक्रेता से शराब खरीद सकते हैं, 20% एक्स्ट्रा एक्साइज़ ड्यूटी पे कर के। मतलब कारोबारियों का काम थोड़ा आसान होइ गवा है।
सर जी ने कहा है कि रेस्टोरेंट को लाइसेंस देने का अधिकार दिल्ली पुलिस के पास न होकर खाद्य विभाग के पास हो। वैसे भी दिल्ली पुलिस तो सर जी के पास है नहीं। अगर ये सब सुनने के बाद आप ठेका खोलकर नोट छापने की सोच रहे हैं तो ये भी सुन लीजिए - इसके लिए मोहल्ला सभा से परमिट लेनी होगी।
अब सबके फायदे की बात करते हैं। इससे केजरीवाल (मतलब सरकार) के खाते में कुछ और पैसे आएंगे। रेस्टोरेंट वालों को परमिशन लेने में और अल्कोहल लेने में आसानी होगी। आपको साल के सिर्फ़ तीन दिन ड्राइ डे मनाना होगा।
पर ये सब तभी होगा मेरे दोस्त जब ये प्रस्ताव पारित हो जाए। सारे ख्याली पुलाव फुस्स हो गए न! अरे उम्मीद न छोड़ो यार, उम्मीद पर तो पूरी दिल्ली सरकार चल रही है! ;)