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संतान के रूप में लड़के का मोह आज भी कम नहीं हुआ है। इस बात फायदा उठाकर इतने हाईटेक जमाने में भी तमाम बाबा बंगाली और ढोंगी डॉक्टर अपनी दुकानें चला रहे हैं, लेकिन डॉक्टर की डिग्री के सिलेबस में लड़का पैदा करने का आयुर्वेदिक नुस्खा आश्चर्य की हद को पार कर रहा है। मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक नासिक स्थित महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज(MUHS) में बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद, मेडिसन्स एंड सर्जरी) के सिलेबस में लड़का पैदा करने के आयुर्वेदिक तरीके बताए गए हैं। किताब में दी गई जानकारी के मुताबिक नर भ्रूण तैयार करने की प्रोसेस को 'पूसनवान' बताया गया है, महिलाएं अगर गर्भधारण करने से पहले इस प्रोसेस को अपनाती है उनकी बेटे को जन्म देने की इच्छा पूरी होती है।
पहला तरीका- उत्तरदिशा मुखी बरगद के पेड़ की पत्तियां, उड़द की दाल और सरसों के दानों को पीसें और दही में मिलाकर खाएं।
दूसरा तरीका- यह तरीका जेब पर भारी पड़ने वाला है। इसमें बताया गया है कि संतान के रूप में लड़का चाहने वाली महिला को सोना, चांदी या लोहे की बनी पुरुषों को दो प्रतिमाएं भट्टी में पिघलानी चाहिए। इसके बाद पिघले हुए पदार्थ को दूध, दही या पानी में मिलाकर पुष्प नक्षत्र के समय उस पेय को पीना चाहिए। इन नुस्खों को चरक संहिता से लिया हुआ बताया जा रहा है।
आपको बता दें करिश्माई बताए जाने वाले ये कथित आयुर्वेदिक नुस्खे नांदेड़ के डॉ. शंकरराव मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन डॉ. दिलिप की देखरेख में सिलेबस में शामिल किए गए हैं।
सिलेबस को लेकर चर्चा है और हो सकता है कि इस पर एक्शन भी लिया जाए, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट सुपरवाइजरी बोर्ड ऑफ प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नॉस्टिक टेक्नीक्स (PCPNDT) एक्ट के सदस्य गणेश ने सिलेबस में शामिल ऐसे नुस्खों पर आपत्ति जताई है। उनके मुताबिक BAMS डिग्री लेकर डॉक्टर ग्रामीण इलाकों में ही नहीं, शहरों में भी प्रेक्टिस करते हैं। आज लोगों में आयुर्वेद को लेकर भी खासा क्रेज है। ऐसे में अगर ऐसे नुस्खे मेडिकल स्टूडेंट्स को यह पढ़ाए जाएंगे तो फिर उनका भगवान ही मालिक है।
सिलेबस की जानकारी गणेश PCPNDT एक्ट अथॉरिटी के संज्ञान में ला चुके हैं, अब इस पर कार्रवाई कब तक होगी, यह देखने वाली बात है।