रेप। दिल्ली की उस रात की घटना के बाद बहुत बातें हुई इस मुद्दे पर। शुरूआती दौर में लोग खुले कर सामने आने से डरे। फिर चीज़ें थोड़ी बदलीं। कुछ लोगों ने इस पर बाकायदा पूरी मुहीम चला दी। फिर सेक्सुअल और ओरल असॉल्ट को लेकर लड़कियां सामने आईं। ऐसे भी औरतों या महिलाओं या लड़कियों इनकी ढेरों मुश्किलों के बारे में अभी बात की जानी बाकी हैं। चाहे वो काम को लेकर हो, शादी ब्याह को लेकर हो। कपड़े पहनने को लेकर हो। उठने, बैठने, घूमने, बोलने, चलने हर चीज़ में एक बहस की जरूरत है। और अभी ढेरों चीज़ें बदलनी बाकी हैं।
पीरियड्स और बाकी दूसरी प्रॉब्लम्स को लेकर तो अभी बात करने में लड़कियां ही कम्फ़र्टेबल नहीं हो रही हैं। फिर इन पर बातें अभी बाकी हैं। बदलेगा, उम्मीद है वक़्त के साथ सब कुछ सुधरेगा।
लेकिन इस बीच कुछ अच्छी खबरें जो आती हैं। वो जान लेनी जरूरी हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए एक बेहद ही जरूरी मुद्दे की तरफ हमारा ध्यान खींचा है।
एक 14 साल की बच्ची 2014 में एक बच्चे को जन्म देती है। लेकिन ये बच्चा इसकी चॉइस नहीं था। वो इसकी मजबूरी थी। लेकिन इसने पूरी हिम्मत से उस बच्चे को अपने पेट में नौ महीने तक पाला भी और उसे जन्म भी दिया। इसका बलात्कार हुआ था। और बलात्कार करने वाला और कोई नहीं इस लड़की का सौतेला बाप था।
आपने बिल्कुल ठीक सुना। हमें अपनी सोसाइटी के इस सच से वाकिफ़ हो ही लेना चाहिए। ये कहने में मुझे बिल्कुल शर्म नहीं आ रही। क्योंकि हम हो गए हैं ऐसे। इतने घिनौने। तो जब इतने घिनौने हो ही गए हैं तो इस सच को जान लेना ही बेहतर।
केस इतने दिनों से चल ही रहा था। अब जा कर दोषी को सजा मुकर्रर हुई है। 2 साल बाद। अब आप इसी से अंदाज़ा लगा लीजिए कि हमारे देश में लॉ एंड ऑर्डर की हालत कितनी सुधरी हुई है। कितनी तेजी से फैसले हो रहे हैं।
हाई कोर्ट ने दोषी को उम्र कैद की सज़ा सुनाई है। क्योंकि DNA रिपोर्ट से ये साफ़ हो गया कि हां इस बच्चे का पिता वही आदमी है। जिसने इस लड़की के साथ रेप किया था।
ये आदमी, जो कि इस केस का दोषी निकला। वो एक ड्राईवर है। इसने इस लड़की के मां के साथ शादी की थी। इस लड़की के पिता का देहांत हो गया था। इसका एक भाई भी है। इस तरह से ये आदमी इन बच्चों का भी बाप बन गया।
लड़की का कहना था कि ये आदमी मुझे 11 साल की उम्र से ही छेड़ रहा है। मेरे साथ सेक्सुअल असॉल्ट करता था। लेकिन मना करने पर मुझे धमकी देता था। कहता था कि ये मेरी मां और मेरे भाई को मार देगा। खैर...
अब ये मामला खत्म हो चुका है। लेकिन फैसले में कुछ ऐसी नई बातें जोड़ी गई हैं जो सोचने लायक है। इस बारे में अभी तक बातें नहीं होती थीं। अब शायद हों। जो कि निहायत ही जरूरी है।
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा कि "रेप के बाद पैदा हुए बच्चे को भी कंपनसेशन का हक है। जिसमें उसकी देख-रेख का खर्च शामिल हो। "
बेंच ने कहा कि, "ऐसा देखा जा रहा है कि रेप की इस पूरी बहस में पैदा होने वाले बच्चे की कोई बात ही नहीं है। उसके लिए किसी तरह के किसी कंपनसेशन का प्रावधान नहीं है। जबकि ऐसा बच्चा सीधे तौर पर उस घटना का पीड़ित है। और उसे पूरा हक़ है कि उसे उसके हिस्से की मदद मिले।"
और भी कुछ-कुछ बातें थीं। जो मुद्दे की बात थी वो हम आपको बता रहे हैं। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी बच्चे की देख-रेख के लिए 12 लाख रुपए के मुआवजे का आदेश दिया था। जिसके बारे में कोर्ट ने कोई नया आदेश नहीं दिया है।
जब बच्चा पैदा हुआ था तब उसे पहचान से छुपाने के लिए किसी ने गोद ले लिया था। लेकिन कोर्ट ने इस आर्डर की कॉपी को दिल्ली स्टेट लीगल अथॉरिटी और प्रिंसिपल सेक्रेटरी लॉ एंड ऑर्डर को भी भेजने को कहा है। जो कि दिल्ली सरकार के अंदर आते हैं। और उन्हें इसके हिसाब से बच्चे के लिए कंपनसेशन जारी करने को कहा है।
अब अगर बच्चे को पालने वाले मां-बाप चाहें तो इस पैसे के लिए क्लेम कर सकते हैं। अपनी जरूरत के हिसाब से। बच्चे के बदले में।
ये बात सही है कि रेप के बाद एक लड़की की जो मानसिक हालत होती है। उसके लिए कोई भी कंपनसेशन कम पड़ेगा। लेकिन ज़िदंगी में इनसे लड़ कर जीने वालों के लिए कुछ देर के लिए ही सही कुछ तो सहारा मिलता है। कोर्ट ने रेप विक्टिम को मिलने वाले 3 लाख रुपए की रकम को भी बढ़ाकर 7.5 लाख कर दिया।
और इस पूरे मामले के लिए कोर्ट के फैसले की तारीफ़ होनी चाहिए। जहां एक तरफ अलग-अलग NGO और दूसरी सोशल ऑर्गेनाईजेशन जो भी मिल कर आज तक रेप विक्टिम्स के कंपनसेशन के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं। ऐसे मौके पर इस फैसले से अब शायद आगे भी बहुत कुछ बदलने की उम्मीद है।