Home Panchayat Discussion Woman Sharing Experience On Being An Army Personnel Wife

एक महिला आपको बता रही है कि एक फ़ौजी की बीवी होना कैसा होता है

Updated Tue, 04 Oct 2016 12:37 PM IST
विज्ञापन
एक महिला आपको बता रही है कि एक फ़ौजी की बीवी होना कैसा होता है
विज्ञापन

विस्तार

मुंबई की एक वकील हैं वो आपको कुछ बता रही हैं। अगर आपके घर में या आस-पास कोई आर्मी मैन कभी नहीं रहे तो आपको शायद ये बातें नहीं पता होंगी। सेना के एक अफ़सर की पत्नी आपको बता रही हैं कि एक सैनिक की बीवी होना कैसा होता है।

फ़ेसबुक पर एक पेज है ह्यूमंस ऑफ़ बॉम्बे इन्होंने उसपर अपने दिल की बात शेयर की है जिसे अब तक 67 हज़ार लोग लाइक कर चुके हैं और 10 हज़ार लोग शेयर कर चुके हैं। वो कहती हैं कि जब वो पुणे के सिम्बायोसिस कॉलेज में पढ़ रही थीं तो हर संडे वी नेशनल डिफेन्स अकादमी जाया करती थीं खाना खाने। वहीं वो उनसे पहली बार मिलीं। दोनों साथ बैठ खाना खाया करते थे। उस समय फ़ोन नहीं थे तो दोनों एक दूसरे को चिट्ठियां लिखा करते थे। इसके 2 साल बाद ही उनकी पोस्टिंग देहरादून हो गई और फिर चिट्ठियों का एक लंबा सिलसिला चल निकला।

"2002 में मोबाइल फ़ोन आ गए और हम फ़ोन पर ही एक दूसरे को अपना हाल चाल बताते। 6 साल बाद उन्होंने कहा कि मैं अब तुम्हारे साथ रहना चाहता हूं। ये कोई बहुत ख़ास प्रोपोज़ल नहीं था पर बेहद सिंपल और प्यारा था। मैं शादी के बाद भटिंडा शिफ़्ट हो गई और वहां प्रैक्टिस करने लगी। हमने वहां ढाई साल एक साथ बिताए और वो समय बहुत अच्छा बीता। पर फिर उनका ट्रांसफ़र हो गया और मैं समझ गई कि मैं उनके साथ हर जगह नहीं जा सकती क्योंकि मेरा भी अपना करियर है और उनके साथ रहने पर मेरे पास सिर्फ़ टीचिंग का ऑप्शन रह जाता है, और मैंने इस लिए कानून की पढ़ाई नहीं की थी। हमने ये तय किया कि मैं मुंबई में रहकर अपना काम करूंगी।"

"आज हमारी एक तीन साल की बच्ची भी है। हम चार महीने में केवल 15 दिन के लिए मिल पाते हैं और उन 15 दिनों में हम पूरी ज़िन्दगी जी लेना चाहते हैं। अक्सर ही मैं बेहद चिड़चिड़ी हो जाती हूं और मुझे उनकी बहुत ज़रुरत होती है पर वो नहीं होते। वो आजकल ऐसी जगह पर हैं जहां नेटवर्क भी नहीं आते। हमारी चिट्ठियों ने अब लंबे व्हाट्सऐप मैसेज का रूप ले लिया है और हम उसी पर बात-चीत करते हैं। मेरी बेटी भी अपने पापा को स्कूल में सीखी हुई बातें फ़ोन पर सुना पाती है। और जब मैं दुखी होती हूं तो वोही मुझे समझाते हुए कहती है कि मम्मी ये देश के लिए है।"

"हम सैनिकों को तभी याद करते हैं जब वो शहीद हो जाते हैं। मेरे पति के कई साथी लड़ाई या तकनीकी खराबी के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं। कई बार जब उनको किसी एविएशन प्रोजेक्ट पर जाना होता है तो मैं परेशान होकर उनसे जाने से मना कर देती हूं। कई बार अपने आप को समझाना बहुत मुश्किल हो जाता है। पर इन बातों पर अपना कोई बस नहीं है। इन सारी बातों के बावजूद आजतक उन्होंने हमसे अपने प्रोफ़ेशन को लेकर कोई शिकायत नहीं की है।"

दोस्तों कितना आसान होता है ये कह देना कि हमारे सैनिक युद्ध के लिए तैयार हैं बात बस इतनी सी है कि कभी जाकर किसी जवान के घरवालों से पूछिएगा कि वो युद्ध के बारे में क्या सोचते हैं क्योंकि घर बैठे टीवी पर ख़बरें देख उत्साहित होना एक बात होती है और मैदान में जाकर सब कुछ भूल कर अपने देश के लिए मर-मिटना एक बात।


विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree