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दिल्ली के पांच सरकारी स्कूलों में भूत पढ़ने आते हैं। अब भूतों को तो संसाधनों-सुविधाओं की जरूरत पड़ती नहीं है, तो इन स्कूलों में वे हैं भी नहीं। टीचर आदमी ही हैं और भर-भरके हैं। छात्रों के हाजिरी वाले रजिस्टर उनकी बाट जो रहे हैं। मास्साब, रोजाना स्कूल जाते हैं।
दरअसल,
इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली के शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट के हवाले से यह जानकारी इकट्ठा की है कि पांच सरकारी स्कूलों में टीचर तो हैं लेकिन पढ़ने वाला बच्चा एक भी नहीं है। 36 टीचर रोजाना स्कूलों में हाजिरी लगाते हैं। कमाल की बात यह है कि टीचर ऑनलाइन ट्रांसफर की सुविधा उठाकर इन स्कूलों में आए हैं।
बिन बच्चों वाले ये स्कूल दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 17, द्वारका सेक्टर 22, खिचड़ीपुर, कालकाजी और मदनपुर खादर जेजे एक्सटेंशन जेजे कॉलोनी में हैं।
हालांकि इन स्कूलों में आए टीचर भी मौजूदा हालातों को लेकर हैरान हैं और सवाल उठा रहे हैं बिना बच्चों वाले निर्माणाधीन स्कूलों को शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर डाला ही क्यों गया? उनका कहना है कि उन्हें ट्रांसफर के विकल्पों में स्कूल दिखा और उन्होंने उसके लिए अप्लाई कर दिया।
सरकारी महकमे का कहना है कि जल्द ही स्कूलों को कंपलीट कर दिया जाएगा और स्कूलों में बच्चे आ जाएंगे।
लेकिन यह बात बड़ी ही विचित्र लगती है कि स्कूलों में टीचर तो हैं लेकिन बच्चे नहीं। आखिर कैसे पढ़ेगा और कैसे बढ़ेगा इंडिया!