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इंटरनेट पर सोशल प्लेटफॉर्म्स के जरिये नापाक मंसूबों का अंजाम देने वाले आतंकवादियों की अब शामत आने वाली है। गूगल और फेसबुक चुन चुन कर इनसे हिसाब लेंगे। सही पूछिए तो अब आतंकी बच्चुओं का भागने की जगह नहीं मिलेगी। अब सोच रहे होंगे कि हम यह बढ़ा-चढ़ाकर क्यों बता रहे हैं? दरअसल बात ही ऐसी। अगर गूगल और फेसबुक का प्लान ठीक से काम किया तो वाकई आतंकी न घर के रहेंगे न घाट के!
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आतंकियों से निपटने के लिए फेसबुक ने व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के यूजर्स का डेटा एक जगह इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। यह जानकारी खुद फेसबुक अपने एक ब्लॉग में दी है, ताकि आतंकियों की गतिविधियों का पता लगाया जा सके। फेसबुक ने इस बात की जानकारी भी दी है कि वह सारे कदम कानून और नियम का पालन करते हुए ही उठा रहा है। फेसबुक की तरफ यह भी बताया गया है कि आतंकवादी कई दफा इंक्रिप्टेड मैसेज का इस्तेमाल करते हैं ताकि दूसरा कोई उन्हें पढ़ न सके। लेकिन हम भी सयाने हैं, हम से बचकर कहां जाओगे बच्चू!
हालांकि फेसबुक डेटा स्टोर करने वाली बात को विवादित बताया जा रहा है, लेकिन फेसबुक ने भी सही मौके पर चौका लगा दिया है, उसका कहना है कि उसका ध्यान 'क्रॉस प्लैटफॉर्म कोलैबरेशन' पर है और इसी के लिए कंपनी Instagram और WhatsApp यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करके विश्लेषण कर रही है।
तो ये तो हो गई फेसबुक की बात, अब गूगल बाबा का प्लान समझ लीजिए।
गूगल बाबा के मुताबिक आतंकवाद और घृणा फैलाने वाले समूहों से संबंधित वीडियो की पहचान की जा रही है और उन्हें हटाने के लिये और संसाधन लगाए जा रहे हैं। गूगल के मुताबिक हाल ही में अमेरिका और दूसरी जगहों पर हिंसक हमलों के मद्देनजर वह नए सिरे से यह कदम उठा रहा है। इसकी एक वजह लंदन में एक मस्जिद के बाहर अंजाम दिया गया वैन कांड भी है।
गूगल एक ब्लॉग पोस्ट में भी अपनी उत्कंठा जाहिर की है, कहा है कि नीतियों का उल्लंघन करने वाली सामग्रियों की पहचान और उन्हें हटाने के लिये वर्षों काम किया है, लेकिन सच्चाई अभी और काम किये जाने की आवश्यकता है।' तो मतलब साफ है कि गूगल बाबा को अपनी जिम्मेदारी का एहसास है और अब कोई बख्शा नहीं जाएगा।