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आमतौर पर यह कहावत फेमस है कि एक नौकरी करने वाले आदमी की सैलरी कितनी भी क्यों न हो, वह एक ढंग की मर्सिडीज नहीं खरीद सकता, खरीद भी ले तो उसके लिए उसे सौ बार सोचना होगा और जिंदगी भर की कमाई लगा देनी पड़ेगी। बिजनेस कैसा भी हो उसके बूम होने की संभावना हमेशा बनी रहती है। बिजनेस में कब रोडपति करोड़पति बन जाए, कहा नहीं जा सकता। भारतीय मूल के गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई इन सब बातों को झूठा साबित कर रहे हैं। उनकी सैलरी दुनिया भर के अखबारों की सुर्खियां बन रही है। बड़े-बड़े उद्योगपति भी उनके आगे बौने लग रहे हैं।
मतलब, सरकार की कई योजनाओं का बजट भी इतना नहीं है जितनी सुंदर पिचाई की तनख्वाह है। मसलन, बजट 2017 के हिसाब से लें तो महिला सशक्ति केंद्रों के लिए कुल 500 करोड़ रुपये ही रखे गए, जो कि पिचाई की सीटीसी के आधे से भी कम हैं। इस तरह की योजनाएं खोजने पर और भी मिल जाएंगी। लेकिन कल यानी 1 मई को मजदूर दिवस है। आजकल मजदूरों में नौकरीपेशा लोग भी गिन लिए जाते हैं। इस हिसाब से सुंदर पिचाई मजदूरों के नए भगवान समझो। क्या है कि उनकी सैलरी ही इतनी है... खुद पढ़ लीजिए आगे की स्लाइड्स में...
गूगल के सीईओ और भारत में जन्मे 44 वर्षीय सुंदर पिचाई को साल 2016 में वेतन और अन्य मानदेय मिलाकर 20 करोड़ डॉलर यानी 1285 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, हर महीने की बात की जाए तो सुंदर ने एक अरब रुपये से ज्यादा की कमाई की। यह सैलरी बड़ी-बड़ी कंपनियों के टर्न ओवर से भी ज्यादा है।
खास बात यह है कि सुंदर की तनख्वाह में 2015 के मुकाबले दोगुने का उछाल आया। अगस्त 2015 में ही सुंदर ने गूगल के सीईओ का पद संभाला था। हालांकि सुंदर को मूल वेतन के तौर पर छह लाख 50 हजार डॉलर ही मिले, बाकी उनके दूसरे भत्ते और कंपनी द्वारा पुरस्कार स्वरूप दिए गए शेयर की कीमत रही।
चेन्नई से प्रारंभिक शिक्षा लेने पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। गूगल के सीईओ चुने जाने से पूर्व वह यहां क्रोम और एंड्रायड सेवाओं को देख रहे थे। कहा जाता है कि क्रोम की सफलता ही उन्हें सीईओ के पद तक ले गई। पिचाई ने 2004 में गूगल में नौकरी शुरू की थी।
सीईओ बनने के बाद पिचाई ने गूगल के स्मार्टफोन, वर्चुअल रियलिटी हैडसेट और स्पीकर लांच किए हैं। गूगल को फायदा होने से कंपनी ने भी उनके भत्तों को बढ़ाया है।