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हवन करो भाई, हवन करो!

निर्मल गुप्त, नई दिल्ली Updated Sun, 15 Jul 2018 12:09 PM IST
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Havan bro, havan!
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नेता जी बोले, बच्चों ठोका-पीटी तो सही चल रही है, लेकिन तुम्हारे लाइव प्रकरण को वैसा रिस्पांस नहीं मिल रहा, जिसकी जरूरत है। मुल्क बंद का हुक्म था। श्यामल पृष्ठभूमि पर श्वेत अक्षरों में लिखी यह इबारत शहर की दरो-दीवार पर जगह-जगह चस्पा हुई दिखी। नगर के नागरिकों ने इसे देखा और इस तरह देखा, जैसे कुछ भी न देखा हो। समय-समय पर इस तरह के पोस्टर दिखते हैं, तो लोग गालिब को याद कर लेते हैं- ‘उग रहा दर-ओ-दीवार पे सब्जा गालिब/हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है।’

मेरे शहर के बाजार कुछ मुकम्मल बंद थे। कुछ विद्वता की हरदम मिचमिचाती हुई आंख की तरह अधखुले थे। दुकानदार, ग्राहक जी के आ फंसने का इंतजार करते लगभग बगुले की तरह धैर्य धरे लगभग ऊंघ रहे थे। तभी डंडे लहराती भीड़ आई और वह बंद दुकानों के शटर में लगे ताले को तोड़ उन्हें खोलने लगी और जो पहले से खुली थीं, उन्हें इस खुलेपन का दंड देने लगे। वे प्रथमत: नाबालिग लगे, लेकिन उन्होंने जब अपने करतब दिखाए, तो लगा कि ये तो बड़े छंटे हुए हैं। भीड़ में यों तो तरह-तरह के स्टंटमैन थे, लेकिन उनमें से एक तबका था, जिसके सिर पर साधारण केश राशि नहीं, रंग-बिरंगे मशरूम उगे थे। वे जरा अलग किस्म के एक्टिविस्ट थे। मशरूम कट क्रांतिकारी। वे किसी न किसी की पीठ पर लदे थे। उनके हाथों में लाठी जैसी कोई चीज नहीं थी, सेल्फी स्टिक थी। पता करने पर पता लगा कि वे इस वक्त सोशल मीडिया पर लाइव हैं। एक दुकानदार, जो अभी-अभी भीड़ के हाथों पिटते-पिटते बच गया था, मशरूम कटों से बोला– ‘भाई, हमें भी तनिक लाइव कर दें।’

‘क्यों कर दें तुझे?’ किसी ने पत्थर जैसा सवाल उछाला। तुम्हारी भौजाई को भी पता लगे कि हम महज तालीपीटक तमाशबीन नहीं, अव्वल दर्जे के प्लेयर भी हैं। बिना हेलमेट लगाए भी खेलना जानते हैं। भीड़ में जिसने इस बात को सुना, वह बिना मुस्कुराए न रह सका। बहरहाल तोड़फोड़ करती भीड़ और आगे बढ़ती रही। तभी नेताजी की एसयूवी पहुंची। उसमें से दंभ से दमकता नेताजी का चेहरा दिखा। बोले, ‘बच्चों काम तो तुम लोग ठीक-ठाक कर रहे हो। ठोका-पीटी सही चल रही है, लेकिन तुम्हारे लाइव प्रकरण को वैसा रिस्पांस नहीं मिल रहा, जिसकी जरूरत है।’ ‘तब क्या करें?’ भीड़ ने पूछा।

‘हवन करो भाई, हवन करो।’ नेताजी ने सुझाव दिया। इससे पहले भीड़ हवन कुंड, समिधा, कपूर और हवन सामग्री की उपलब्धता की बात करती। गाड़ी की पिछली सीट पर विराजमान कारिंदे उतरे। भीड़ के हाथ में पेट्रोल बम थमाने लगे। नेताजी ने उन मशरूम कर्मवीरों से कहा- ‘अब हवन होगा। धुंआ उठेगा। आग धधकेगी। तुम सब स्वाहा-स्वाहा करते चलो। यह आग वायरल होगी तो बात जरा दूर तक जाएगी। कोई बड़ी गड़बड़ी हुई, तो कह देंगे यह अग्निपूजक भक्तजनों की करतूत है।’ भीड़ में जो नेताजी की कहिन सुन पाया, उसने कहा जय हो नेता जी की। देखते ही देखते यत्र-तत्र आग ही आग दिखने लगी। तब लुटे-पिटे दुकानदारों ने कहा, हम भी ‘पिटरोल’ बम बेचेंगे। आने वाले समय में इसकी तो बड़ी डिमांड निकलने वाली है।

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