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कहते हैं तो जो बाहर से जितना क्रूर दिखने की कोशिश करता है अंदर से उतना ही डरपोक होता है। हालांकि हमारा मन ‘डरपोक’ के लिए उसी अक्षरश: शब्द इस्तेमाल करने का था लेकिन संपादकीय नीति नाम की भी कोई चीज होती है। हां तो… बात हो रही थी डरपोकों की, हाथ में भयानक बंदूक लेकर कोई भी खूंखार हो सकता है। ISIS वालों के साथ ऐसा ही है। कमजोर और कायरों की एक टोली बंदूक लेकर निर्दोषों पर अपनी जोर आजमाइश दिखाती है। लेकिन सच्चाई ये हैं कि वो अव्वल दर्जे के डरपोक हैं और ये बात खुलकर बाहर आ चुकी है।
सीरिया और इराक में दहशत का नंगा नाच दिखाने वाले ISIS वालों को एक पेड़ के नाम भर से डर लग जाता है। सोचिए जो खिलौने के तौर पर AK-47 और AK-56 जैसे हथियारों का इस्तेमाल करते हैं उनको पेड़ से किस बात का डर लग रहा था। वजह जानकर आप पेट पकड़ कर हसेंगे भी और आईएसआईएस पर तरस भी खाएंगे।
दरअसल ISIS से जुड़े एक आंतकी संगठन खालिद बिन वालिद को पेड़ से इसलिए डर लगता था क्योंकि तन कर खड़ा पेड़ उनकी एकदेव परंपरा को चोट पहुंचा रहा था। डेली मेल की खबर के मुताबिक आईएसआईएस को डर लगने लगा था कि कहीं लोग इस पेड़ की पूजा न करने लगे। उनका मानना है कि इंसान को सिर्फ अल्लाह की ही पूजा करनी चाहिए। आईएआईएस वालों का नियम है कि अगर अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा की, तो इसकी सजा मौत ही होगी। इसलिए इस पेड़ को आरी से काट डाला।
आईएस इसके लिए इस्लाम धर्म के नियमों का हवाला दे रहा है, लेकिन वो शायद ये भूल रहा है कि कोई भी धर्म किसी भी तरह की हिंसा की इजाजत नहीं देता है। वैसे आईएस के खूंखार किस्सों के लिए मशहूर था लेकिन ये अपनी तरह का पहला मामला है जिसमें उसके खूंखार नकाब के पीछे डरपोक और अंधविश्वासी इंसान उजागर हो गया।